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विद्यार्थियों को नहीं पता है सरदार पटेल की वास्तविक जन्मतिथि

प्रियंका दुबे मेहता, गुड़गांव: सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को यह नहीं पता है कि सरद

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 08:48 PM (IST)
विद्यार्थियों को नहीं पता है सरदार पटेल की वास्तविक जन्मतिथि

प्रियंका दुबे मेहता, गुड़गांव:

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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को यह नहीं पता है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का वास्तविक जन्म तिथि है क्या। हम सरदार पटेल की 139वीं जयंती मना रहे हैं। जबकि हरियाणा की पांचवीं कक्षा की सामाजिक अध्ययन की पुस्तक में सरदार पटेल की जन्मतिथि 1885 लिखी हुई है। ऐसे में वर्षो मे हरियाणा के विद्यार्थी सरदार पटेल की गलत जन्म तिथि पढ़ रहे हैं। जबकि उनका जन्म तिथि दस्तावेजों मे 31 अक्टूबर 1875 दर्ज है।

शुक्रवार को आयोजित हुए एकता दिवस के दौरान हर स्कूल का यह आलम था लौह पुरुष पर भाषण में सभी विद्यार्थी व अध्यापक जन्म तिथि को 31 अक्टूबर 1885 ही बोल रहे थे। गलती उनकी इसलिए नहीं है कि पिछले कई वर्षो से पांचवी कक्षा की सामाजिक अध्ययन की किताब में दसवें पाठ 'हमारे स्वतंत्रता सेनानी' में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मतिथि की जगह पर 31 अक्टूबर 1885 छपा हुआ है। ऐसे में विद्यार्थी ही नहीं अध्यापक भी इसी जन्म तिथि को पढ़ व लिख रहे हैं। इस बारे में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान तरुण सुहाग ने कहा कि अभी कुल मिलाकर विद्यार्थी व अभिभावक दोनों ही कंफ्यूज हैं कि असल तिथि आखिर है क्या। उन्होंने कहा कि वे मांग करेंगे कि अगर यह गलती है तो इसे तत्काल सुधारा जाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कौमी एकता दिवस आयोजन की घोषणा के चलते अब विद्यार्थियों को पता चला है कि असल जन्म तिथि क्या है।

हालांकि इस बार प्राथमिक कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों का पाठ्यक्रम बदला जा रहा है ऐसे में उम्मीद है कि विशेषज्ञों की निगाह में यह त्रुटि आई होगी लेकिन फिलहाल तो यही स्थिति है कि विद्यार्थियों को वर्षो से यही तिथि पढ़ाई जा रही है। इतिहास की प्राध्यापिका रही उमा दीवान ने कहा कि हम राष्ट्रीय रूप में 139वीं जन्मतिथि को मना रहे हैं, लेकिन अगर किताबों में गलत लिखा हुआ है, तो उसे सुधारा जा सकता है क्योंकि इतनी एक्यूरेसी से तिथि नहीं लिखी जा सकती। इतिहास हम विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं ताकि वे व्यक्ति के योगदान को समझें। अगर ऐसी गलती पाठ्य पुस्तकों में है तो इसे सुधारा जा सकता है।


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