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व्यापार : शहर में बढ़ रहा है आयातित फलों का व्यवसाय

प्रियंका दुबे मेहता, गुड़गांव: शहर में पिछले कुछ समय पहले आयातित फलों का बाजार बहुत छोटा था। इस

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 08:10 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 08:10 PM (IST)
व्यापार : शहर में बढ़ रहा है आयातित फलों का व्यवसाय

प्रियंका दुबे मेहता, गुड़गांव:

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शहर में पिछले कुछ समय पहले आयातित फलों का बाजार बहुत छोटा था। इस समय यह व्यवसाय खासा फल फूल रहा है। लोग इन फलों में विश्वास दिखाने लगे हैं व इसके ग्राहकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह वजह है कि पहले विशेष दुकानों पर बिकने वाले यह विदेशों से आयातित फल अब सब्जी मंडी में भी उपलब्ध हैं।

लोगों का देसी फलों पर से विश्वास उठता जा रहा है। फल विक्रेताओं की माने तो पिछले कुछ सालों में विदेशी फलों की मांग में लगभग 30-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा फल उत्पादक देश भारत है लेकिन यहां पर ही आयातित फलों की मांग है। क्या वजह है, इस बारे में डीएलएफ फेज वन के फल विक्रेता अंशुल का कहना है कि समय से पहले पकाने के लिए डाले जाने वाले उत्प्रेरक, कीटनाशक तथा ज्यादा उत्पाद पाने के लिए डाले जाने वाले उर्वरक से फलों के प्राकृतिक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, ग्राहकों में इस बात की जागरूकता आई है तथा लोगों का मन भी इन फलों से हट गया है। न्यूजीलैंड की कीवी, वाशिंगटन के सेब, कैलीफोर्निया के पर्पल, आस्ट्रेलिया की नासपाती, थाइलैंड की इमली, टर्की की खुमानी आदि चीजें शहर के बाजारों में खूब बिक रही हैं। फल व्यापारी महेश के मुताबिक वह शहर में ज्यादातर चीन, न्यूजीलैंड, फ्रांस तथा आस्ट्रेलिया से फल आते हैं। डीएलएफ फेज वन निवासी साफ्टवेयर इंजीनियर कनिष्क गुप्ता का कहना है कि देसी फलों की महत्ता दिन ब दिन घटते जाने का कारण यह है कि यहां के फलों पर रसायन लगाकर उन्हें बड़ा व मीठा किया जाता है जिससे उनकी क्वालिटी में गिरावट आती है। इस बात को फलों के जानकार भी अच्छी तरह से समझते हैं। फल व्यापारी नीरज अग्रवाल के मुताबिक विदेशी फलों में ज्यादा खाद आदि का प्रयोग नहीं होता जिससे उनके अंदर के प्राकृतिक पोषक तत्व नष्ट नहीं होते। मनप्रीत सिंह का कहना है कि हमारे फलों को विदेशों में भी इसी लिये कम पसंद किया जाता है क्योंकि यहां के फलों पर रसायनों व खाद का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। विदेशों से आयातित फलों का बाजार इस कदर विस्तार पर है कि हर वर्ग इन फलों को खरीद रहा है। पहले यह फल केवल एक वर्ग विशेष ही खरीदता था।


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