सत्ता संतुलन की दो ध्रुवीय रणनीति
नवीन गौतम, गुड़गांव : हरियाणा में मनोहर लाल सरकार के स्वरूप से एक बात तो साफ है कि फिलहाल अहीरवाल
नवीन गौतम, गुड़गांव : हरियाणा में मनोहर लाल सरकार के स्वरूप से एक बात तो साफ है कि फिलहाल अहीरवाल में सत्ता के दो केन्द्र होंगे। सत्ता में रहते हुए जिस तरह कांग्रेस में कई केन्द्र बन गए थे, कुछ वैसी ही स्थिति भाजपा में नजर आ रही है। हालांकि भाजपा ने सत्ता संतुलन बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं, लेकिन फिलहाल तो अहीरवाल में 'रामबिलास-नरवीर' की जोड़ी, राव इन्द्रजीत खेमे पर भारी पड़ती दिख रही है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत अपनी इच्छा के अनुसार गुड़गांव संसदीय क्षेत्र में उम्मीदवार उतारना चाहते थे, लेकिन गुड़गांव जिले में उन्हें चार में से सिर्फ एक टिकट मिली। रेवाड़ी और मेवात जिलों में उनकी पसंद को तवज्जो तो मिली, मगर उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण पहलू यह था कि इन्द्रजीत के कड़े विरोध के बावजूद भाजपा आलाकमान ने राव नरवीर को बादशाहपुर से उम्मीदवार बना दिया। उसी दौरान साफ हो गया था कि अहीरवाल में भाजपा सिर्फ और सिर्फ इन्द्रजीत के सहारे नहीं चलेगी। राव नरवीर चुनाव जीत गए तो अब मनोहर लाल सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बना दिया गया, जो भाजपा की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि चर्चा है कि राव इन्द्रजीत के विरोध के चलते ही नरवीर को दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी ही मिली है, लेकिन यह भी हकीकत है कि जो दो मंत्रालय उन्हें सौंपे गए हैं, वे सीधे-सीधे जनता से जुड़े हुए महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं। हालांकि राव नरवीर पर भी राव इन्द्रजीत के एक बड़े समर्थक विक्रम ठेकेदार का चेक लगा दिया गया है। ताकि वे सत्ता और राजनीति की गलियों में फर्राटा ना भर सकें। ठेकेदार को राज्यमंत्री के तौर पर सरकार में शामिल करना एक नजर में सत्ता संतुलन की रणनीति का हिस्सा लगता है। मगर रामबिलास शर्मा के कैबिनेट मंत्री बनने से राव इन्द्रजीत का पलड़ा रामबिलास और नरवीर की जोड़ी की तुलना में निश्चित तौर पर हल्का नजर आने लगा है। राव नरवीर और रामबिलास शर्मा की दोस्ती जगजाहिर है। राव नरवीर को टिकट दिलवाने में रामबिलास शर्मा की अहम भूमिका रही है।