..धीरे-धीरे गांव से भी गायब हो जाएंगे पक्षी
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : वर्षो पहले गांव ही नहीं शहर में भी पक्षियों की आवाज से लोगों की नींद ख
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : वर्षो पहले गांव ही नहीं शहर में भी पक्षियों की आवाज से लोगों की नींद खुल जाती थी। अब अधिकांश लोगों की नींद अलार्म से खुलती है। आनेवाले समय में शहर की तरह गांव के भी अधिकांश लोगों की नींद अलार्म से टूटेगी। ऐसी स्थिति दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी की वजह से पैदा होगी।
ये विचार केंद्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के पूर्व निदेशक व पर्यावरणविद् डा. आरपी बालवान ने दैनिक जागरण से बातचीत में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्षो पहले आतिशबाजी नाममात्र की होती थी। यदि किसी को आतिशबाजी करना होता था तो खुले में जाता था। आतिशबाजी के लिए जगह निर्धारित होती थी। इससे किसी को नुकसान नहीं होता था। पेड़-पौधों के नजदीक आतिशबाजी नहीं किया करते थे। धीरे-धीरे सारा सिस्टम बिगड़ गया है। गलियों में आतिशबाजी होनी शुरू हो गई है। पेड़-पौधों के नीचे आतिशबाजी की जाती है। इसका प्रभाव वातावरण पर बहुत ही बुरा पड़ रहा है। आज यदि शहरों में पक्षियों की आवाज सुनाई नहीं देती है तो इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि शोर बहुत हो गया। वाहनों के शोर से पक्षी प्रभावित हुए। एक दिन दीपावली के मौके पर जो आतिशबाजी होती है उसका खामियाजा पक्षियों को कई महीनों तक भुगतना पड़ता है। वे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। डर से अधिकांश पक्षी जगह छोड़ देते हैं। यही नहीं आतिशबाजी की वजह से पेड़-पौधों को भी काफी नुकसान होता है। जहां तक इंसानों का सवाल है तो आतिशबाजी से सल्फर डायऑक्साइड एवं सल्फर ट्राइआक्साइड सहित कई तरह के गैसों की मात्रा बढ़ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है। यही वजह है कि देश में दमा, अस्थमा सहित कई प्रकार के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आवश्यकता है दीपावली पर आतिशबाजी की बजाय दीप जलाएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है। प्रदूषण का कोई झंझट नहीं।
चाइना जा रहा है देश का पैसा
पर्यावरणविद् डा. आरपी बालवान कहते हैं कि दीपावली देश का मुख्य त्योहार है। लोग इसे मनाने के लिए जमकर खर्च करते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन जिस चीज पर खर्च अधिक करने लगे हैं वह हैं चाइनीज लड़ियां। दीपावली पर लोग जो पैसा खर्च कर रहे हैं वह सीधे चाइना जा रहा है। दूसरी तरफ देश में प्रदूषण पैदा हो रहा है। चाइनीज लड़ियों की वजह से भी कई दिनों तक तापमान में बढ़ोत्तरी हो जाती है। आवश्यकता है कि चाइनीज लडि़यों की जगह दीप जलाएं। इससे तापमान भी नहीं बढ़ेगा और देश की संस्कृति का भी विकास होगा।