Move to Jagran APP

बिना मान्यता के चल रहा जिले का माडल मैथ-साइंस स्कूल

जागरण संवाददाता, मेवात: जिले में आइआइटी, इजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई के कोर्सो में प्रवेश के लिए प्

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 08:14 PM (IST)
बिना मान्यता के चल रहा जिले का माडल मैथ-साइंस स्कूल

जागरण संवाददाता, मेवात: जिले में आइआइटी, इजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई के कोर्सो में प्रवेश के लिए प्रतिभाएं उभारने के लिए 2009 में नगीना में मैथ-साइंस का स्कूल खोला गया था। प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल ने इसका उद्घाटन किया था। मेवात माडल स्कूल सोसायटी को इसके चलाने का जिम्मा दिया गया। लेकिन पाच साल बाद भी स्कूल को किसी बोर्ड से मान्यता नहीं मिल सकी है। पाच साल से यह अस्थाई रूप में नगीना के मेवात माडल स्कूल के परिसर में बने कामकाजी महिला हास्टल में चलाया जा रहा है । हालाकि केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से दिए लगभग सवा सात करोड़ से इसका भवन भी नगीना के मढ़ी गाव में हाल ही में बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन जिस उद्देश्य के लिए इस स्कूल की स्थापना की गई अव्यवस्थाओं के चलते वह अभी कोसों दूर नजर आ रहा है। एक तरफ सरकार का शिक्षा विभाग हर साल गैरमान्यता प्राप्त स्कूलों पर नकेल कसने के दावे करता है, दूसरी तरफ मेवात में सरकार के पैसे से ही प्रशासन की सरपरस्ती में गैर मान्यता प्राप्त स्कूल चलाया जा रहा है। इतने वर्ष बाद भी मेवात माडल पब्लिक स्कूल बिना मान्यता के चलाया जा रहा है। इस स्कूल में स्टाफ का भी बड़ा टोटा बना हुआ है। लगभग ढाई- तीन हजार रुपये मासिक की फीस देने वाले दर्जनों अभिभावकों ने स्टाफ की कमी से तंग आकर लगभग दो माह पूर्व सड़कों पर उतरकर जिला प्रशासन व एमडीए प्रशासन के खिलाफ रोष प्रदर्शन तक किया था। इसके बाद से स्कूल की कक्षाओं को समीप के मेवात माडल स्कूल की कक्षाओं के साथ ही उस स्कूल के शिक्षक पढ़ा रहे है। अभिभावक व जिला पार्षद जान मोहम्मद ने बताया कि इस आवासीय स्कूल में कई वर्षो से प्राचार्य का पद भी रिक्त चला आ रहा है। शुरुआत में जो शिक्षक नियुक्त किए गए थे, वे अन्य सरकारी नौकरी मिलने पर यहा से इस्तीफा देकर जाते रहे। इस समय केवल एक ही शिक्षक रह गया है। ऐसे में दूसरे स्कूल के सहारे बच्चों को मैथ साइस में विशेषज्ञ कैसे बनाया जाएगा, यह चिंता का विषय है। अब उन्हे यह भी पता चला है कि स्थापना के पाच साल बाद भी प्रशासन इस स्कूल को किसी भी बोर्ड से मान्यता तक नहीं दिलवा पाया है।

loksabha election banner

क्या कहते है अधिकारी :

उपायुक्त संजय जून का कहना है कि इस बारे में जानकारी हासिल की जाएगी। कहां क्या रुकावट है। जल्द ही रुकावट को दूर कराया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.