इनेलो के शहरी जिलाध्यक्ष राजेश सूठा का इस्तीफा
जासं, गुड़गांव: गुड़गांव जिले में इंडियन नेशनल लोकदल की करारी शिकस्त की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इने
जासं, गुड़गांव: गुड़गांव जिले में इंडियन नेशनल लोकदल की करारी शिकस्त की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इनेलो के शहरी जिलाध्यक्ष राजेश सूठा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब उनके इस्तीफे के बाद अन्य नेताओं पर भी अपने पद से त्यागपत्र देने का नैतिक दबाव बन गया है। प्रबल संभावना है कि अगले एक-दो दिन में कुछ और नेता अपने पद से इस्तीफा दे दें।
इनेलो मुखिया ओम प्रकाश चौटाला के नाम भेजे गए इस्तीफे में सूठा ने कहा है कि पार्टी की हार से वे बेहद दुखी हैं। उन्हें गुड़गांव जिले में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाए। इस असफलता के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए मैं अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। उन्होंने वादा किया है कि पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर वह हमेशा कार्य करते रहेंगे। यहां बता दें कि पंजाबी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले सूठा की गिनती अच्छी छवि के नेताओं में होती है और अपनी बिरादरी में भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। इसी रणनीति विशेष के तहत ही उन्हें इनेलो में शहरी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। माना जा रहा था कि गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में इनेलो को सूठा की वजह से काफी लाभ होगा और पंजाबी मतदाता बड़ी संख्या में इनेलो में आ सकते हैं। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस के पार्षद शशि दुआ एवं श्याम अदलखा चुनाव से कुछ समय पहले ही इनेलो में शामिल हुए। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष मदन लाल ग्रोवर ने भी खुलकर इनेलो उम्मीदवार का समर्थन किया। मगर इस सबके बावजूद इनेलो के उम्मीदवार पूरे गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में 23 हजार का आंकड़ा भी नहीं छू सके, जबकि पंजाबी मतदाताओं की तादाद ही 80 हजार के आसपास है। इस स्थिति के चलते उन पंजाबी नेताओं की अपनी बिरादरी पर पकड़ की कलई भी खुल गई है, जो इनेलो के पक्ष में खड़े थे। दूसरी तरफ सूठा के इस्तीफा देने के बाद इनेलो के अन्य पदाधिकारियों पर भी इस्तीफा देने के लिए दबाव बना है। चाहे वह ग्रामीण अध्यक्ष रमेश दहिया हों या फिर विभिन्न हल्कों के अध्यक्ष, किसी के भी इलाके में इनेलो उम्मीदवार जीत नहीं पाए। इतना ही नहीं इनेलो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनंत राम तंवर के सोहना विधानसभा में भी भाजपा का परचम लहरा गया।