Move to Jagran APP

मेवात की सबसे बड़ी जीत

प्रवीण कुमार, मेवात : कई चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद मेवात की सियासत के दिग्गज जाकिर हुसैन

By Edited By: Published: Mon, 20 Oct 2014 03:38 AM (IST)Updated: Sun, 19 Oct 2014 08:19 PM (IST)
मेवात की सबसे बड़ी जीत

प्रवीण कुमार, मेवात :

prime article banner

कई चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद मेवात की सियासत के दिग्गज जाकिर हुसैन ने अपने नाम मेवात में जीत का नया कीर्तिमान स्थापित कर लिया है। जाकिर ने नूंह सीट पर पहली बार चुनाव लड़ते हुए मेवात की अभी तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। जाकिर ने नूंह से इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 32696 वोटों से जीत दर्ज की है। जाकिर को कुल पड़े एक लाख 22 हजार 668 वोटों में से 64221 वोट मिले। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी निवर्तमान परिवहन मंत्री आफताब अहमद को करारी शिकस्त दी। आफताब को कुल 31425 वोट मिले। इससे पहले यह रिकार्ड पूर्व जाकिर परिवार के धुर विरोधी पूर्व मंत्री और मेवात की सियासत के पुरोधा चौधरी खुर्शीद अहमद के नाम था।

खुर्शीद अहमद ने 1987 के चुनाव में नूंह विधानसभा से ही 27970 वोटों से जीत हासिल कर मेवात की सियासत के इतिहास की सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड कायम किया था। उसके बाद इस रिकार्ड को कोई नहीं तोड़ पाया। वर्ष 2000 के चुनाव में फिरोजपुर झिरका सीट से मोहम्मद इलियास ने दूसरे नंबर की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। इलियास ने इनेलो की टिकट पर कांग्रेस के शकरुल्ला को 17560 वोटों से हराया था।

5900 से 32696 पर पहुंचा जीत का आंकड़ा..

तीन राज्यों में मंत्री रहे मेवात सियासत के धुरंधर चौधरी तैयब हुसैन के सियासी वारिस के तौर पर जाकिर ने 1991 में सक्रिय सियासत में पदार्पण किया। उन्होंने पहली बार तावडू विधानसभा अपना पहला चुनाव लड़ जीत हासिल की। जाकिर ने मेवात के हिंदू नेता कुंवर सूरजपाल को 5900 वोटों से हराया। 1996 में इसी सीट पर जाकिर सुरज पाल से चुनाव हार गए। 2000 के चुनाव में जाकिर ने सूरज पाल को दस हजार से अधिक वोटों से हराकर अपनी हार का बदला चुकता किया। 2005 के चुनाव में जाकिर इसी सीट पर इनेलो के शहीदा खान के सामने मामूली अंतर से हार गए। जाकिर ने वर्ष 2009 और 2014 में गुड़गांव लोकसभा सीट से क्रमश: बसपा और इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही बार जाकिर को अहीरवाल के दिग्गज नेता राव इंद्रजीत से करारी हार झेलनी पड़ी। हालांकि दोनों ही चुनाव में मेवात की आवाम ने जाकिर को एकतरफ समर्थन दिया।

तैयब परिवार पहली बार उतरा नूंह सीट पर :

प्रदेश गठन के बाद यह पहला मौका है जब मरहूम चौधरी तैयब का परिवार सियासी पारी खेलने नूंह विधानसभा के पिच पर उतरा है। इससे पहले तैयब परिवार तावडू और फिरोजपुर झिरका सीट पर चुनाव लड़ता आया है। प्रदेश गठन के बाद 1967 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चौधरी तैयब ने फिरोजपुर झिरका सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन स्वराज पार्टी के दीन मोहम्मद ने उन्हें करीब 2000 वोटों से हारा दिया। 1977 में उन्हें तावडू से सीट पर खुर्शीद अहमद ने हरा दिया। 1987 में उन्होंने तावडू सीट पर चुनाव लड़ विधानसभा चुनाव की पहली जीत दर्ज की। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र कुमार को करीब 11 हजार वोटों से हराया। 1991 से लेकर 2004 तक उनके सियासी वारिस जाकिर हुसैन ने भी तावडू सीट पर ही अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाया। आंकड़े बता रहे हैं कि तैयब परिवार के किसी सदस्य ने पहली बार नूंह से चुनाव लड़ा और पहली बार में ही जीत का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.