खुद बीमार है अस्पताल
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : शहर की आबादी लगभग 21 लाख है। शहर में एक बड़ी आबादी मेहनतकशों की है, जो शहर के उद्योग धंधों और निर्माण क्षेत्र को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस आबादी के बरक्स जिले में महज 200 बेड का अस्पताल चिकित्सीय सेवाओं को जैसे मुंह चिढृा रहा है। हालांकि इस अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए पिछले वर्षो के दौरान कई करोड़ रुपए खर्च किए गए, मगर यहां आने वाले लोगों की तुलना में डॉक्टरों की कमी, सीट की कमी, स्टाफ की कमी बहुत बड़ी परेशानी का सबब है। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना औसतन डेढ़ से दो हजार लोग ओपीडी में आते हैं। टोकन सिस्टम लागू होने के बाद से कई बार ऐसी स्थितियां भी आई हैं कि कर्मी मरीजों को टोकन देना बंद कर देते हैं। क्योंकि एक डॉक्टर की मरीज देखने की एक सीमा है। पिछले चार महीने से अस्पताल में खून से प्लेटलेट्स और अन्य अवयव अलग करने वाली मशीनें पड़ी हैं। उनका प्रयोग नहीं हो पा रहा है। स्पेशल नियो नेटर केयर यूनिट में एक महीने तक के 20 बच्चों को भर्ती किए जाने की सुविधा तो है, मगर उनकी माताओं के लिए जगह नहीं है। दूसरी ओर ओपीडी में मेडिकल अफसर तो आ गए हैं, मगर स्त्री रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन समेत विशेषज्ञों की कमी है। यहां एकमात्र फिजिशियन हैं, अगर ये छुट्टी पर चले जाएं, तो एक अस्पताल का आईसीयू बंद करना पड़ता है। अस्पताल में हदय रोग विशेषज्ञ तथा न्यूरो सर्जन विशेषज्ञ डॉक्टरों की व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे पद ही सृजित नहीं किए गए। ऐसे में गरीब मरीज को दिल्ली या शहर के निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
बड़े अस्पताल में भर्ती सेवा नहीं
दूसरी ओर शहर के दूसरे सरकारी अस्पताल सेक्टर 10 स्थित सामान्य अस्पताल में ओपीडी चालू हुए दो वर्ष से ज्यादा बीत गए, मगर यहां अभी तक भर्ती सेवा शुरू नहीं हुई। 11 एकड़ की जमीन पर बने इस अस्पताल के बारे में जानकारों के अनुसार सरकार की दिलचस्पी इस कारण भी नहीं हैं। क्योंकि इसे पुरानी सरकार के मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने व्यक्तिगत दिलचस्पी लेकर बनवाया था। अस्पताल गरीबों के इलाज के लिए एक बड़ा सहारा बन सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अस्पताल में भर्ती सुविधा शुरू करने की कवायद चल रही है। कुछ स्टाफ और डॉक्टरों की भर्ती होनी है फिर यहां इमर्जेसी शुरू होगी। भर्ती की मनाही नहीं है।
-डा. पुष्पा विश्नोई, सिविल सर्जन।
24 घंटा स्टाफ और इमर्जेसी के लिए जरूरी साधनों के अभाव में भर्ती नहीं हो सकती।
- डा. जय भगवान जाटान, अस्पताल अधीक्षक।
सेक्टर 10 अस्पताल में ओपीडी शुरू करवाने के लिए भी हमें काफी संघर्ष करना पड़ा था। अस्पताल का निर्माण कई सालों तक चला।
-समी अहलावत, आरडब्ल्यूए पेट्रोन।
यह अस्पताल निर्माण के बाद वैसे ही यह खाली पड़ा था। आगे इसमें भर्ती सेवा शुरू करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
- धर्मवीर दलाल,आरडब्ल्यूए प्रधान, सेक्टर 10।