उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस में दावेदारों का बढ़ाया हौसला
नवीन गौतम, गुड़गांव : भाजपा की अंतर्कलह और उपचुनावों के नतीजे कांग्रेस के दावेदारों के हौसले बुलंद कर रहे हैं। अब फिर से ऐसे लोग सक्रिय हो गए जोटिकट के लिए आवेदन करने के पश्चात घरों में बैठ गए थे। माना जा रहा है कि इस स्थिति के चलते कांग्रेस में भी भाजपा की तरह घमासान की स्थिति न बने इसे रोकने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं।
गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र
यूं तो गुड़गांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत का छह बार परचम लहराया, लेकिन पिछले चुनाव में सुखबीर कटारिया ने बतौर निर्दलीय चुनाव जीतकर कांग्रेस की जीत पर ब्रेक लगा दिया था। हालांकि जीतने के बाद सुखबीर ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे मंत्री पद हासिल किया। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के हौसले पस्त थे, उसके बाद कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू तो की लेकिन जो दावेदार सामने आए वह कभी एक कदम आगे बढ़ते तो कभी दो कदम पीछे हटते दिखे। बिहार के उपचुनाव नतीजों के बाद दावेदार पूरी तरह से सक्रिय हो गए, लेकिन उससे ज्यादा ऊर्जा मंगलवार को उन्हें उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के उपचुनाव ने दे दी जहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस के दावेदारों की लंबी सूची है, जिनमें सर्वाधिक दावेदार पंजाबी नेताओं की है। भाजपा से किसी पंजाबी नेता को टिकट न दिए जाने के बाद पंजाबी वर्ग के नेता सभी को एकजुट करने के प्रयास में लगे हैं, जिसमें काफी कुछ सफलता उस वक्त मिलती नजर आई जब भाजपा और कांग्रेस के पंजाबी नेताओं की दो दिन पहले बैठक हुई, जिसमें भाजपा के पंजाबी खेमे से आने वाले वह तमाम दिग्गज नेता मौजूद थे जो टिकट की दावेदारी जता रहे थे। दूसरी तरफ ब्राह्मण समाज ने भी इस सीट पर कांग्रेस से अपनी दावेदारी जता दी है। इस जाति से भाजपा में तीन तीन प्रबल दावेदार होने के बावजूद तीनों को टिकट न दिए जाने के बाद से समाज के लोग कोशिश में हैं कांग्रेस किसी ब्राह्मण को मैदान में उतारे, इसके लिए अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव आशा शर्मा एवं कांग्रेस के पंचायती राज प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शर्मा भी पूरी ताकत से लगे हैं।
बादशाहपुर
इस सीट पर कब्जा तो कांग्रेस का है और राव धर्मपाल कांग्रेस से विधायक हैं लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर शिकस्त खाने के बाद राव धर्मपाल की बजाय किसी अन्य को टिकट दिए जाने की मांग कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरफ से उठ रही है। खुद राव धर्मपाल के पुत्र तो यहां से दावेदारी जता ही रहे हैं, भारतीय युवक कांग्रेस के पूर्व महासचिव प्रदीप जैलदार भी इस सीट पर जाट मतदाताओं की तादाद को देखते हुए प्रयासरत हैं। प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव भीम सिंह यादव, एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल राव एवं किसान नेता धान सिंह तंवर सहित करीब एक दर्जन लोग कांग्रेस की टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। इतना ही नहीं इस सीट पर भाजपा के वह नेता भी कांग्रेस की टिकट के लिए सक्रिय हो गए हैं जिन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया।
सोहना
यह सीट पिछली बार कांग्रेस ने ही जीती थी, इसीलिए कांग्रेस नेताओं को आस है कि भले ही कांग्रेस के विधायक ने पाला बदल भाजपा का दामन थाम किया लेकिन जनता आज भी कांग्रेस के साथ है। इस क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों में सरकार के स्तर पर कई घोषणाएं हुई हैं, जिसमें चाहे तावडू को गुडगांव में शामिल करने का मसला हो या फिर सोहना को नगर परिषद का दर्जा देने की बात। गांवों के लिए भी सरकार की तरफ से काफी एलान हुए जो संभवत मुख्यमंत्री समर्थक जितेन्द्र भारद्वाज के लिए चुनावी मैदान तैयार करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन जातीय समीकरण उनके अनुकूल नहीं हैं। मेव एवं गुर्जर बहुल्य इस सीट पर इन दोनों ही वर्गो से एक दर्जन अन्य नेता भी दावेदारी जता रहे हैं।
पटौदी
पटौदी पर फिलहाल तो कब्जा इंडियन नेशनल लोकदल का है। राव इंद्रजीत के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद भी कांग्रेस के दावेदारों का उत्साह कम नहीं हुआ है। यहां से दो दिन पहले तक दो ही प्रमुख दावेदार थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर छह तक पहुंच गई है।