योगिया द्वारे-द्वारे
जोगिया द्वारे-द्वारे
--------------
क्या पप्पू पास हो पाएगा
--------------
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तक वह ऐनक वालों के पाले में थे, लेकिन जब टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय ही कूद गया मैदान में, सब आखिरी नंबर पर मान रहे थे, लेकिन पहुंच गया पहले नंबर पर और तब उसकी बड़ी बहन ने कहा था कि मुझे उम्मीद थी कि पप्पू पास हो जाएगा। दरअसल, इस उछल कूद वाले को घर में प्यार से पप्पू के नाम से ही बुलाते हैं, इसके गांव वालों को भी इसका यह नाम पता है, यार दोस्त भी अच्छी तरह से जानते हैं। मगर जब से लालबत्ती मिली तो लोग इसका यह प्यार का नाम लेने से संकोच करने लगे थे। मगर अब दंगल नजदीक आ रहा है तो लोग तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे हैं, काम को लेकर भी बयानबाजी हो रही है, तो इन्हीं चर्चाओं के बीच यह भी बात चल रही है कि क्या पप्पू इस बार भी पास हो जाएगा क्यों कि उसने ऐलान तो कर दिया कि 'फिर से-- का' इसी अंदाज में होर्डिग भी लगे हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि किससे, क्योंकि कोशिश तो उसकी कांग्रेस से है, लेकिन नहीं मिली तो क्या फिर इस बार फिर बना दल-दल से मैदान में आएगा, अगर इसे हाथ वालों ने कुबूल लिया तो फिर पुराना खलीफा बिना दल-दल के नजर आएगा।
--
तेरा क्या होगा रे..
प्रदेश की पंचायत में पहुंचने के लिए हाथ वालों में भी कईयों में जोश है, नौजवान तो नौजवान बूढ़े शेर भी जवान होने का दम भर रहे हैं। कमल वालों के अंदाज में इन्होंने कार्यालय तो गली गली में नहीं खोले हैं, लेकिन जनता जनार्दन के दर्शन जरूर करते फिर रहे हैं। कई तो खुले आम दावा कर रहे हैं कि मेरी पक्की है, लेकिन अंदर खाने वह डर भी रहे हैं कि कहीं कच्ची हो गई तो फिर बच्चों ने शोले वाले अंदाज में पूछ लिया कि तेरा क्या होगा रे---तो मुश्किल हो जाएगी लेकिन कुछ ने रास्ता निकाल लिया कि वह अपने परिवार संग दंगल-दंगल तक पिकनिक मनाने विदेश निकल जाएंगे।
बक्से न सही सूटकेस तो चलेगा
हाथ वाली आलाकमान ने फिर एक पर्यवेक्षक भेज दिया है, उनकी जमीनी हकीकत जानने आया है जो हाथ से दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन दावेदार हैं कि भाव देने को ही तैयार नहीं हैं। खबर है उसने शुक्रवार को तमाम दावेदारों को बुलाया था, लेकिन इनमें से ज्यादातर तो पहुंचे ही नहीं जो पहुंचे उनमें से कुछ का आधार नहीं, जिनका आधार भी हैं तो वह इसलिए पहुंच गए कि दस नंबर वाली के चुनाव क्षेत्र का है वर्ना जानते वह भी हैं कितने पर्यवेक्षक आते हैं और आकर चले जाते हैं, लेकिन दंगल का पहलवान तो बक्से के आधार पर तय होता आया है, यह अलग बात है कि इस बार विपरीत हवा के चलते बक्से की बजाय बात सूटकेस में बन जाए लेकिन देना तो पड़ेगा किसी चंडीगढ या दिल्ली वाले को ही, पर्यवेक्षक की रिपोर्ट से कुछ नहीं होना वाला इसलिए समझदार तो वहीं के चक्कर काट कर रहे हैं।
इनकी मौज
पानीपत के मैदान में हाथ वालों का मजमा शनिवार को जुट रहा है। प्रदेश के मुखिया की हूटिंग कमल वालों ने कर दी वह भी देश के मुखिया के सामने यह बात हाथ वालों को पूरी तरह से नागवार गुजरी है। इसलिए सब अपने-अपने हिसाब से पानीपत के मैदान को भरने में लगे हैं, इनमें दावेदार पूरी ताकत से जुट गए हैं, वह मान रहे हैं कि उनकी दावेदारी भी बहुत कुछ इसी पर टिकी है, इसलिए जी तोड़ मेहनत हो रही है। गाड़ियां भरने की तैयारी हो रही है लेकिन इस मजमे की आड़ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जेब भर रहे हैं। खुद को विभिन्न एजेंसियों का अधिकारी बता इन दावेदारों पर फोन कर रहे हैं कि तुम्हारी कितनी बस लिख दूं, कितनी गाड़ी लिख दूं। दावेदार हकीकत बता रहे हैं, लेकिन यह एजेंसी वाले उन्हें बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की सलाह दे अपनी जेब भी गर्म कर जा रहे हैं।
ऐनक क्या करेगी, जब मोतिया बिंद है
ऐनक वालों ने अपने पहलवान पहले घोषित कर दूसरे दल दलों पर भले ही नैतिक दबाव बना दिया है लेकिन उसकी इस जल्द बाजी में कुनबे के अंदर खाने सुलग रही चिंगारी प्रदेश भर में इनके सामने आनी लगी है, जो सामने मुंह भी नहीं खोलता था वह खुलकर बोल रहा है। पुराने को तो आदमी बर्दाश्त कर रहे हैं लेकिन नए-नए परिवर्तन करके आए ऐनक पहनने वाले पुरानों के गले नहीं उतर रहे हैं। पुराने वाले साफ कह रहे हैं कि वह जिंदगी भर ऐनक वाले बापू-छोरे और उसके पोते के जूते को न उठायें, इसके पहलवानों को निपटा इस बार उसे भी निपटाएंगे क्यों कि ऐनक तो इन्होंने पहन ली लेकिन जब आंख में ही मोतिया बिंद सै तो इन्हें कै दिखाई दैवेगा इसलिए इन्हें पुराने पुराने दिखाई नहीं दिए हैं।
प्रस्तुति----नवीन गौतम