दरकने लगीं सड़कें, खुलने लगीं पोल
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : नगर निगम की इंजीनियरिंग विंग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवालिया निशान लग रहे हैं। विंग की ओर से बनावाई जा रही सड़कें धंसने की शिकायतें लगातार आ रही हैं। कहीं -कहीं तो बीच सड़क गड्ढे बन गए हैं। इन जगहों पर हमेशा दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता में अनियमितताओं की आशंका जोर पकड़ने लगी है। इसके बावजूद निगम अधिकारी शिकायतों से बेपरवाह हैं।
करीब चार साल पूर्व सिग्नेचर टावर के समीप सड़क धंसने से तीन-चार वाहन क्षतिग्रस्त होने के साथ ही तीन लोग जख्मी हो गए थे। इस मामले में इंजीनियरों के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था। अब निगम एरिये में लगातार सड़कों के धंसने के साथ ही बीच रोड पर गड्ढे होने की लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। इससे निगम इंजीनियरों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगने के साथ ही निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। तारकोल एवं टाइल्स की रोड में सर्वाधिक शिकायतें आ रही हैं। इस प्रकार के निर्माण के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये लगातार खर्च हो रहा है। सड़कों के धंसने एवं गड्ढे होने से साफ है कि निगम अधिकारी से लेकर ठेकेदार तक अपना हित साधने में लगे हैं। आश्चर्य इस बात का है कि जनता के गाढ़ी मेहनत की कमाई पानी में जा रही और उनकी नुमाइंदी करने वाली मेयर की टीम एवं पार्षद हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इससे तो लगता है कि अधिकारी से लेकर सभी मिले हुए हैं और यही कारण हैं कि कोई भी इस प्रकार के निर्माण कार्य को लेकर अधिकारियों को घेरने का प्रयास नहीं कर रहा।
यहां-यहां धंस रहीं सड़कें
डीडीआर चौक से झाड़सा रोड, ज्योति हास्पिटल के समीप, मोर चौक से राजीव चौक, मोर चौक से सोहना चौक, एमजी रोड, पुरानी दिल्ली रोड, गुड़गांव गांव की इंट्री का मुख्य रोड, रेलवे रोड, लक्ष्मण विहार की सड़कें कई जगह से धंस रही हैं, तो कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। यदि इन सड़कों के निर्माण की जांच किसी दूसरी एजेंसी से कराई जाए तो कई अनियमिताएं उजागर हो सकती हैं।
मिट्टी भराव में हुई लापरवाही
जयपुर विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर अरविंद्र सिंह का कहना है कि सड़कों के नीचे केबल की लाइन होती है। इसके लिए सड़क निर्माण से पहले उसका भराव अच्छी प्रकार से करना चाहिए। तभी निर्माण कार्य करना चाहिए। गुड़गांव में इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है और यही कारण हैं कि सड़कें खोखली हैं और वह धंसने के अलावा गड्ढों में तब्दील हो रही हैं।
एस्टीमेट एवं वर्क आर्डर जारी करने पर जोर
एडवोकेट अरुण शर्मा का कहना है कि मेयर की टीम एवं उनके फाइनेंस कमेटी के सदस्य एस्टीमेट एवं वर्क आर्डर जारी करने पर अधिक जोर देते हैं। मौका मुआयना करते नहीं। स्वीकृति देकर वह अपना हित साध लेते हैं और फिर ठेकेदार व अधिकारी इसी प्रकार का निर्माण कार्य करेंगे। जिला सहकारी श्रम निर्माण प्रसंघ के चेयरमैन कुलदीप कटारिया का कहना है कि यही मेयर टीम ने शुरुआत में सड़क निर्माण पर खर्च हुए तीन-चार सौ करोड़ पर सवालिया निशान लगाए थे और जांच की बात कही थी। तीन साल बाद भी इस दिशा में इन्होंने कुछ नहीं किया। इससे साफ है कि उनकी करनी व कथनी में अंतर है।
दोषियों पर होगी कार्रवाई
''सड़क निर्माण कार्य गुणवत्ता के साथ हो इसके लिए सभी को मौका मुआयना करने के निर्देश दिए हुए हैं। बावजूद इस प्रकार सड़क धंसने एवं गड्ढों की घटना से साफ है कि एजेंसी के साथ ही अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। इन मामलों की जांच कराएंगे।''
-बलजीत सिंह सिंगरोहा, चीफ इंजीनियर, नगर निगम।