सबसे बड़ी मस्जिद भी छोटी पड़ गई
जागरण संवाददाता, गुड़गांव : रमजान केअंतिम जुमे की नमाज मस्जिदों में अता की गई। शहर के मुख्य मस्जिद जामा मस्जिद में काफी संख्या में रोजेदार नमाज अता करने पहुंचे। सब्जी मंडी से लेकर लोगों के घरों तक लोग जमा थे। नतीजतन, शहर की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार जामा मस्जिद छोटी पड़ गई, लोगों को मस्जिद के बाहर, पार्क और मस्जिद से सटी दुकानों की छतों पर नमाज अता करनी पड़ी।
नमाजियों में बुजुर्गो के अलावा नौजवानों और मासूमों की भी जमात दिखी। मस्जिद के बाहर भी दुकानें सजी रही। जुमे की अजान के पहले ही मस्जिदों में नमाजी जुटने शुरु हो गए थे। मस्जिद में आते ही लोग कुरान की तिलावत या नमाज के जरिए इबादत में मशगूल हो गए। रोजेदारों में बच्चों की भी अच्छी तादाद दिखी। जिनके अंदर इबादत का जच्बा भी कम न था।
जामा मस्जिद के अलावा कब्रिस्तान वाले मस्जिद, न्यू पालम विहार स्थित मस्जिद आदि विभिन्न मस्जिदों में इमामों ने अपनी तकरीर में रमजान की अहमियत और तीस दिन की फजीलत बयान की और बताया कि हम नमाज पढ़ते हैं तो दिखता है। हज करते हैं तो दिखता है, जकात देते हैं तो दिखता है। लेकिन रोजा एक ऐसी छुपी हुई इबादत है, जिसमें हम भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं, अल्लाह को ये रोजा रखना बहुत पसंद है और वह इस रमजान के महीने में हमारी दुआ को जरूर कबूल करता है।
जामा मस्जिद के इमाम जान मुहम्मद ने कुरान का हवाला देते हुए लोगों को समझाया कि रमजान के दिनों में एक नेकी का बदले अल्लाह 70 नेकियों के सवाब देता है।