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बीपीएल कार्ड को वोट में तब्दील करने की जुगत

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 07:57 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 07:57 PM (IST)
बीपीएल कार्ड को वोट में तब्दील करने की जुगत

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : प्रदेश सरकार ने बीपीएल कार्ड के लिए दोबारा सर्वे करने के आदेश दिए तो जिले के 42 हजार लोगों ने इसके लिए आवेदन भी जमा करा दिए। इनमें से बड़ी संख्या में आवेदनकर्ताओं के कार्ड बनाने के लिए नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। चुनाव मैदान में उतरने वाले नेता बीपीएल कार्ड बनवाकर उसे अपने वोट में तब्दील करने की जुगत में लगे हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि तय मापदंड व पात्र लोगों को ही बीपीएल सूची में जगह मिलेगी।

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जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव की कवायद के चलते प्रदेश सरकार ने भी लोगों को लुभाने के लिए बीपीएल कार्ड बनाने के लिए सर्वे करने के आदेश जारी किए हैं, जबकि सभी को मालूम है कि 15 अगस्त के आसपास आचार संहिता लागू हो जाएगी और तब तक बीपीएल सूची तैयार होना मुश्किल है। नगर निगम एरिये में करीब 25 तो ग्रामीण एरिये में करीब 17 हजार लोगों ने बीपीएल कार्ड के लिए आवेदन जमा कराए हैं। 42 हजार आवेदनों की सत्यता परखने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तो तय कर दी है लेकिन पात्र लोगों की छंटनी कर सूची तैयार करने के लिए इतना अधिक समय नहीं है। दूसरी ओर बीपीएल कार्ड बनाने के लिए नेताओं ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। यह लोग लोगों को बीपीएल कार्ड बनाने का विश्वास दे रहे हैं। साथ ही उसके एवज में विधानसभा चुनाव में वोट मांग रहे हैं। इच्छुक लोग सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए कार्ड बनवाना चाहते हैं और इसके लिए वह नेताओं की हर बात मानने के लिए तैयार हैं। नगर निगम एरिये हो या फिर ग्रामीण एरिया नेता अधिकारियों से अपने लोगों के बीपीएल कार्ड बनाने के लिए जुगत लगा रहे हैं। इसके लिए कोई अपने संबंधों की दुहाई दे रहा है, तो कोई जातिवाद व राजनीतिक पार्टी की धौंस। तीन साल पूर्व नगर निगम चुनाव के पूर्व भी यह खेल खूब चला था। हालांकि चुनाव बाद लगातार शिकायतों के चलते तत्कालीन उपायुक्त पीसी मीणा ने हजारों की तादात में अपात्र लोगों के नाम बीपीएल सूची से कटवाए थे। दो साल पूर्व यह मामला खूब उठा और बाद में जांच-पड़ताल के बाद मामला शांत हुआ था। हालांकि इस बार जिला प्रशासन पूर्व में हुई गड़बड़ी किसी भी सूरत में दोहराने के मूड में नजर भी नहीं आ रहा है।

नौ हजार कार्ड हुए थे रद

अभिकरण के रिकार्ड के अनुसार जिले में करीब 46 हजार बीपीएल कार्डधारी थे। इनमें से शहरी एरिये के करीब 23 हजार आठ सौ तो ग्रामीण एरिये के करीब 22 हजार थे। धनाढ्य लोगों के नाम बीपीएल सूची में होने की शिकायत के बाद इनका सर्वे कराया गया तो शहरी एरिये में करीब सात हजार तो ग्रामीण एरिये में दो हजार कार्ड रद किए गए। इसके चलते अब जिले में करीब 37 हजार बीपीएल कार्डधारी हैं।

बीपीएल कार्ड के मापदंड

जिसकी आय का साधन नहीं हो, विधवा हो, नौकरी नहीं हो, मकान नहीं हो, महिलाओं के बच्चे छोटे हों उनका बीपीएल कार्ड सर्वे उपरांत बनाया जाता है।

''कोई कुछ भी करे लेकिन जो तय मापदंड हैं उस पर जो खरा उतरेगा उसके ही कार्ड बनाए जाएंगे। हम तो जो पहले कार्ड बनने हैं और उनमें यदि कोई अपात्र की शिकायत आती है, तो उसका सर्वे कर उसका नाम भी काट रहे हैं। कार्ड बनाने के लिए किसका क्या फायदा व नुकसान है उससे हमें कोई लेना-देना नहीं। साथ ही हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे।''

-पुष्पेंद्र सिंह चौहान, अतिरिक्त उपायुक्त

''बीपीएल कार्ड के लिए पूरी इमानदारी से सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए जिन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है उनके नाम भी सार्वजनिक नहीं किए हैं। कारण नाम पता चलते ही उन पर दबाव पड़ने लगता है। रही बात नेताओं की तो वह तो अपने प्रशंसकों के लिए काम कराने का प्रयास करते ही हैं।''

-महेंद्र सिंह, सिटी प्रोजेक्ट आफिसर, नगर निगम


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