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खिसक रहा जलस्तर

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 02:56 AM (IST)Updated: Wed, 23 Apr 2014 06:47 PM (IST)
खिसक रहा जलस्तर

योगेंद्र सिंह भदौरिया, गुड़गांव : पानी बचत एवं बरसाती पानी के संरक्षण को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए इसके प्रचार-प्रसार पर काफी पैसा खर्च कर रही हैं। तमाम प्रकार के स्लोगन के बोर्ड, बैनर शहर में एवं सरकारी कार्यालयों में लगे नजर आते हैं, लेकिन उस पर कोई भी अमल करने को तैयार नहीं है। शायद यही कारण हैं कि साइबर सिटी में औसतन हर साल एक से डेढ़ मीटर जलस्तर नीचे की ओर जा रहा है। जमीनी पानी के अंधाधुंध दोहन, दुरुपयोग के अलावा बरसात पानी के संरक्षण को लेकर जो लापरवाही का आलम है उसका परिणाम आज नहीं तो कल अवश्य भुगतना होगा।

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सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथारिटी के अनुसार साइबर सिटी में भूमिगत पानी के दोहन एवं अपव्यय के चलते एक से डेढ़ मीटर वाटर लेवल नीचे जा रहा है। बावजूद न तो जमीन पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए कोई आगे आ रहा न ही बारिश के पानी का संचय करने की योजना पर काम हो रहा। शहर में लगातार बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो रहा है इसमें खुलेआम जमीनी पानी का उपयोग किया जा रहा है। इसके बावजूद सरकारी एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। निर्माण कार्य में जमीनी पानी के उपयोग को लेकर गुड़गांव सिटीजन काउंसिल की ओर से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। वहां से भी निर्माण कार्य के लिए सीवरेज के ट्रीट पानी का उपयोग करने, बोरवेल व ट्यूबवेल खनन पर रोक लगाने के आदेश हुए, लेकिन सरकारी एजेंसी इसका पालन को लेकर तैयार नजर नहीं आ रही हैं। प्रशासन ने ट्यूबवेल सीलिंग अभियान चलाया लेकिन आज उसकी हवा पूरी तरह निकल चुकी है।

चार सौ फीट नीचे पहुंचा पानी

नए गुड़गांव की बात करे तो इस एरिये में वर्तमान में वाटर लेवल करीब साढ़े तीन सौ से चार फीट नीचे पहुंच चुका है। कुछ जगह तो इससे भी नीचे भूमिगत जल का लेवल है। घाटा, ग्वाल पहाड़ी, बालियावास में भी भी ट्यूबवेल के लिए छह-साढ़े छह सौ फीट की खुदाई करानी पड़ रही है।

इस पर ध्यान दें तो बने बात

-निर्माण कार्य के लिए सीवरेज के ट्रीट पानी का उपयोग हो

-हर सरकारी व व्यवसायिक इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हो

-बारिश का पानी धरा में पहुंचाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र व गांव की खाली जमीन में छोटे-छोटे बांध व चेक डेम का निर्माण हो

-व्यवसायिक उपयोग वाले ट्यूबवेल सील किए जाएं और नए खनन पर रोक लगे

-जोहड़, कुएं सहित अन्य जल स्रोतों को रिचार्ज किया जाए

-पौधरोपण पर जोर दिया जाए

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''पानी का दोहन एवं बरसाती पानी का संरक्षण करने में प्रशासन सिर्फ कागजों में ही काम कर रहा है। हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य के लिए सीवरेज के ट्रीट पानी के उपयोग के आदेश दिए हैं लेकिन कालोनाइजर इसका पालन नहीं कर रहे। यदि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पता किया जाए कि किस कालोनाइजर ने वहां से कितना पानी लिया और उसकी फोटो, रसीद आदि का डाटा एकत्रित किया जाए तो साफ पता चल जाएगा कि सब कुछ कागजों में ही चल रहा है। अब तो इसके लिए शहर के लोगों को प्रयास करना होंगे तभी अधिकारी नींद से जागेंगे।''

-आरएस राठी, प्रधान, गुड़गांव सिटीजन काउंसिल

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''महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत भी जल संरक्षण के कार्य कराए जा रहे हैं। ट्यूबवेल सीलिंग अभियान चलाने के अलावा जमीनी पानी के दुरुपयोग रोकने के लिए भी टीम गठित की गई हैं। निर्माण कार्य में सीवरेज के ट्रीट पानी का उपयोग हो इसके लिए सख्त हिदायत दी गई हैं।''

- पुष्पेंद्र सिंह चौहान, अतिरिक्त उपायुक्त, गुड़गांव


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