साक्षात्कार : विश्वविद्यालय बनने से होगा बराबर विकास : यादव
जागरण संवाद केंद्र, गुड़गांव : विकास के मुद्दे पर अहीरवाल में इन दिनों जबरदस्त राजनीति चल रही है। क्या यूनिवर्सिटी बनने के बाद उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा में विकास का अंतर पट जाएगा, क्या अब प्रदेश में हर जगह एक समान विकास होने लगे हैं, क्या मुख्यमंत्री व सांसद राव इंद्रजीत सिंह के बीच मतभेदों का लाभ तो अन्य नेता नहीं उठा रहे हैं सहित कई विषयों पर दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता आदित्य राज ने प्रदेश के बिजली, वन एवं पर्यावरण मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश :
क्या अहीरवाल में सामान रूप विकास हो रहा है?
निश्चित रूप से अहीरवाल में सबसे बड़ी कमी विश्वविद्यालय की थी। रीजनल सेंटर को अपग्रेड कर विश्वविद्यालय बनाए जाने की घोषणा के बाद अहीरवाल में तीन विश्वविद्यालय हो जाएंगे। उत्तर एवं दक्षिण में केवल शिक्षा के स्तर पर ही कमी थी जो दूर होने जा रही है। रक्षा विश्वविद्यालय एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय अहीरवाल इलाके में होना विशेष उपलब्धि है।
क्या मुख्यमंत्री एवं सांसद राव इंद्रजीत सिंह के बीच बढ़ रही दूरी का परिणाम तो विकास नहीं?
मतलब चाहे जो भी निकालें, विकास होना चाहिए। मुख्यमंत्री से सांसद की क्यों नहीं बन रही है, इस बारे में वह कह नहीं सकते। उनका मानना है कि राजनीति ऐसी होनी चाहिए जिससे कि विकास हो। केवल विरोध के लिए विरोध उचित नहीं है। विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा न कि व्यक्तिगत रूप से किसी को। मैंने हमेशा क्षेत्र को ध्यान में रखा, व्यक्तिगत हित को नहीं। जब भी उन्हें महसूस हुआ कि क्षेत्र के साथ नाइंसाफी हो रही है तो आवाज बुलंद की। जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता क्षेत्र का विकास सबसे ऊपर होना चाहिए।
फिर विकास रैली में सांसद राव इंद्रजीत सिंह को क्यों बुलाया गया?
यह गलत कहा जा रहा है कि उन्होंने राव इंद्रजीत सिंह को नहीं बुलाया। उन्होंने विधायकों, मंत्रियों एवं सांसद राव इंद्रजीत सिंह को पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री प्रदेश के मुखिया हैं और रैली के मुख्य अतिथि भी थे इस नाते उन्हें अलग से निमंत्रण दिया गया था। सभी मंत्री या विधायक या सांसद अपनी रैलियों के बारे में पत्रों के माध्यम से ही निमंत्रण देते हैं। कई बार लोग उनसे पूछते हैं कि आप गुड़गांव लोकसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं इसलिए सांसद से आपकी नहीं बन रही? ऐसा नहीं है राव इंद्रजीत सिंह के रहते वह चुनाव कैसे लड़ सकते हैं? हां यदि आलाकमान उन्हें आदेश दे तो वह कभी भी तैयार हैं। हालांकि वह चाहेंगे कि उनकी जगह उनका पुत्र व यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चिरंजीव राव ही लोकसभा का चुनाव लड़े।
बिजली की बढ़ती मांग को लेकर क्या रणनीति है?
अब प्रदेश में बिजली की कमी नहीं है बशर्ते सभी पावर प्लांट सही से चलते रहें। खेदड़ एवं यमुना नगर पावर प्लांटों की गड़बड़ी ठीक कर ली गई है। इस वजह से भारी परेशानी आ रही थी। झाड़ली, झज्जर, पानीपत के पावर प्लांट भी बेहतर उत्पादन दे रहे हैं। अडानी ग्रुप की बिजली आने से लगभग कमी दूर हो गई। इस समय जितनी डिमांड है उतनी बिजली की उपलब्धता है। आवश्यकता पड़ने पर शार्ट टर्म बेसिस पर बिजली की व्यवस्था की जा सकती है। शहरी तर्ज पर गांवों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए कुछ शर्ते निर्धारित हैं। शर्तो को पूरा करने वाले गांवों को निर्धारित कोटे से अधिक बिजली दी जाएगी।
बिजली निगमों के प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो पाते हैं क्यों?
अधिकांश प्रोजेक्ट समय पर पूरे होते हैं। कुछेक में कई बार परेशानी आ जाती है। कहीं जमीन की उपलब्धता में तो कहीं राइट ऑफ वे में। पंचगांव का मामला सामने आया है जहां 220 केवी सब स्टेशन अब तक बन जाना चाहिए था। इस बारे में पता लगाया जाएगा कि आखिर कहां व किस स्तर पर कमी रही। बाकी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम की मजबूती के लिए विशेष दिशा निर्देश हैं। बिजली चोरी पकड़ने के लिए थाने बना दिए गए हैं। जहां तक पूरी तरह चोरी पर लगाम लगने का सवाल है तो इसके लिए आम जनता को भी जागरुक होना पड़ेगा।
क्या बिजली कर्मियों की वजह से ही राजस्व को नुकसान तो नहीं हो रहा?
यदि उनके संज्ञान में इस तरह के मामले सामने आएंगे तो संबंधित कर्मियों के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। डीएलएफ सब डिवीजन से संबंधित बिजली बिलिंग घोटाले को उनके संज्ञान में लाया गया है। वह पता करेंगे कि आखिर कैसे बिना कनेक्शन के ही मीटर लगा दिया गया। इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं और अब तक इस बारे में कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इस तरह के मामलों में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि यह राजस्व के नुकसान से जुड़ा मामला है। चाहे कर्मचारी हों या अधिकारी, यदि राजस्व के साथ खिलवाड़ की बात सामने आती है तो तत्काल प्रभाव से कार्रवाई होनी चाहिए।
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