गांव की लाडो पूर्णिमा की छटा बिखेर रही 'पूनम'
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : पहचान उसी की होती है, जो अपना रास्ता अलग चुनते हैं। दूसरों से प्रेरणा
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
पहचान उसी की होती है, जो अपना रास्ता अलग चुनते हैं। दूसरों से प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन किसी की नकल करना ठीक नहीं। मेहनत का साथ कभी छोड़ना नहीं चाहिए। ऐसी ही मजबूत सोच लेकर बनगांव की लाडो पूनम रानी ने खेलों में कदम रखा था। मेहनत, संघर्ष व आत्मविश्वास के बल पर आज वह नेशनल खिलाड़ी के रूप में पहचान बना चुकी है। इस पहचान के लिए उसने क्रिकेट या टेनिस जैसा चर्चित खेल नहीं चुना। उसकी रुचि शुरू से ही जेवलिन थ्रो में थी। इसी खेल में मेहनत करते हुए आगे बढ़ी तो उसके लिए रास्ते खुलते चले गए। अब वह न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दस्तक दे रही है बल्कि भारतीय क्रीड़ांगन में पूनम (पूर्णिमा)की छटा बिखेर रही है।
पूनम को पूरा विश्वास है कि एक दिन वह अपने देश के लिए जरूर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलेगी। वह अब तक की अपनी तमाम उपलब्धियों के लिए अपने कोच हनुमान को श्रेय देती हैं। पूनम रानी एमएम कॉलेज में बीए फाइनल की छात्रा है। पूनम रानी 14 जनवरी को ही तामिलनाडू में आल इंडिया इंटर यूनिर्वसिटी जेव¨लग थ्रो प्रतियोगिता खेल कर आई है। इस प्रतियोगिता में उसने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया है। पूनम रानी की उपलब्धि इस बात में भी है कि वह अब तक जिले में जेव¨लग थ्रो की ऐसी एकमात्र खिलाड़ी मानी जाती हैं, जिसने प्रदेश से बाहर जाकर अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया हो। पूनम रानी अब तक आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में अपनी धाक जमा चुकी है।
--उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त
पूनम रानी अब तक कई राज्यों में खेल चुकी है। उसने वर्ष 2011 में खेलना शुरू किया था। वह शुरू से ही जेवलिन थ्रो में ही अपनी प्रतिभा को निखारती रही है। वर्ष 2011 में वह स्कूल स्तर पर खेला करती थी। तब उसे दिल्ली में हुई नेशनल स्कूली प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला था। उस समय वह सिल्वर मेडल जीत कर लाई थी। इसके बाद वर्ष 2012 में भी इसी तरह स्कूल की तरफ से कर्नाटक में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेने गई थी, जहां से स्वर्ण पदक जीतकर लाई। पूनम रानी ने सितंबर 2015 में कोलकाता में ओपन नेशनल में कांस्य पदक जीता था। अप्रैल 2016 में दिल्ली में हुई प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता था। इससे पहले सितंबर 2015 में लखनऊ में हुई प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता था। पटियाला में वर्ष 2016 में हुई प्रतियोगिता में आल इंडिया यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में भी शानदार प्रदर्शन किया। इस तरह वह दर्जन से ज्यादा मेडल राज्य व नेशनल स्तर पर जीत चुकी है।
--कोशिश से खुलते हैं रास्ते : पूनम
पूनम रानी कहती हैं कि अक्सर कुछ लोग प्रयास करने से पहले ही हार जाते हैं। हम सोच लेते हैं कि शायद यह काम हम नहीं कर सकते। मगर ऐसा कुछ नहीं है। किसी भी फील्ड में आगे आने के लिए मेहनत की जरूरत है। जब मेहनत व कोशिश करते हैं तो रास्ते अपने आम खुलते जाते हैं। किसी चुनौती को देखकर घबराना नहीं चाहिए। किसी भी मुकाबले में यह जान जाने चाहिए कि सामने वाला भी हमारी तरह इंसान है।