Move to Jagran APP

सीमा का प्रहरी अब स्वच्छता का सिपाही

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद बात कारगिल युद्ध से ऐन पहले की है। सीमा पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ र

By Edited By: Published: Sat, 03 Dec 2016 11:37 PM (IST)Updated: Sat, 03 Dec 2016 11:37 PM (IST)
सीमा का प्रहरी अब स्वच्छता का सिपाही

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद

prime article banner

बात कारगिल युद्ध से ऐन पहले की है। सीमा पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा था। चर्चाएं देशभर में थीं। जिले का गांव मानावाली भी अपवाद नहीं रहा। यहां के युवा बुधराम की भुजाएं भी पाकिस्तान के साथ तनाव को लेकर फड़क रही थीं। देशभक्ति का जज्बा सरहद पर जाने के जुनून की शक्ल ले चुका था। और देश की खातिर मर-मिटने की जिद में वह 24-राजपूत रेजीमेंट का हवलदार बन गया। फिर तो देश के दुश्मनों के खिलाफ मोर्चाबंदी मानो बुधराम का मिशन ही बन गया। भले ही वह सरहद पार से देश की सुरक्षा के दुश्मन हों या फिर सामाजिक सरोकार के। तभी तो उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत आहवान पर खुद को स्वच्छता मिशन से जोड़ लिया।

हुआ यूं कि भारतीय सेना के हवलदार बुधराम उन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में थे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्वच्छ भारत अभियान का आगाज खुद झाड़ू हाथ में लेकर कर रहे थे। बुधराम के दिल को यह बात छू गई। जब वह गांव आया तो वहां गंदगी देख उनकी अंतरआत्मा रो पड़ी। बकौल बुधराम, उन्होंने नागरिक अस्पताल में कार्यरत अपने मित्र से गांव को स्वच्छ बनाने के जज्बात बताए। जज्बा देखिये कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की स्वच्छता मुहिम को सफल बनाने और देश की शान बढ़ाने के लिए गत अगस्त सेना में हवलदार पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। गांव आकर देखा तो गंदगी से अटा पड़ा था। पहल की। गली। मोहल्ला। और फिर सारा गांव।

पहले एक-दो मित्र साथ आए। फिर तो कारवां ही बन गया। 30-35 स्वच्छता-युवाओं की टीम बन गई। ग्रामीणों ने उनके हौसले को सामूहिक सहयोग का पंख दिया। हर हाथ ने झाड़ू उठा लिया। देखते ही देखते गांव चकाचक। बुधराम बताते हैं कि अब उनका मिशन जिलेभर के गांवों को स्वच्छ बनाना है। इस तरह, सीमा का प्रहरी अब स्वच्छता का सिपाही बन गया है।

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

मैंने अगस्त में रिटायरमेंट ली है। अपने देश की जनता से इतना ही कहना चाहता हूं कि वे नोटबंदी पर अपने आप को बैंक अथवा एटीएम की लाइन में ना समझें। यह समझें कि वे सैनिकों के साथ बोर्डर की लाइन पर देश के दुश्मनों को जवाब देने के लिए खड़े हैं। कालाधन व भ्रष्टाचार भी तो देश के दुश्मन ही हैं। इनकी भी सफाई देशहित में जरूरी है।

- बुधराम, स्वैच्छिक सेवानिवृत्त सैनिक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.