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पांच दशक में प्रदेश बदला, जिला एक दशक पीछे

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : बीते पचास साल में कई सरकारें बदलीं। कई राजनीति दलों ने सत्ता संभाली। इस

By Edited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 11:51 PM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 11:51 PM (IST)
पांच दशक में प्रदेश बदला, जिला एक दशक पीछे

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : बीते पचास साल में कई सरकारें बदलीं। कई राजनीति दलों ने सत्ता संभाली। इसलिए आज सवाल ये नहीं कि किस सरकार ने कितना कुछ किया। विषय तो यही है कि बीते पचास सालों में तमाम सरकारों के प्रयास किस दिशा में बढ़े और कितना प्रभाव रहा। शिक्षा स्तर, स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि के तौर तरीके, किसानों

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की दशा, आमजन का जीवन स्तर, परिवहन सुविधा और रोजगार के अवसरों तथा उद्योगों की स्थिति से पता चलता है कि किसी राज्य ने कितना विकास किया है। दैनिक जागरण के पाठक पैनल में विभिन्न विषयों के जानकारों ने अपनी राय रखी। इसका निष्कर्ष यही रहा कि प्रदेश आगे बढ़ रहा है, लेकिन जिला अभी पीछे है। आज के हिसाब से अध्ययन करें तो लगभग दस साल बाद हम दूसरे जिलों के समानांतर खड़े हो पाएंगे।

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आयकर अधिवक्ता भारत भूषण गर्ग ने कहा कि जिला उद्योगों की कमी के चलते बहुत पिछड़ा है। हमारे पास सरकारी नौकरियां इतनी नहीं है। इसलिए यदि जिले में उद्योग स्थापित हों तो युवाओं को रोजगार मिल सकता है। आज उद्योगपति यहां उद्योग ही नहीं लगाना चाहते। इसकी वजह ये है कि यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। खासकर, रेल की सुविधा होनी जरूरी है। यह विडंबना है कि जिला मुख्यालय रेल सेवा से नहीं जुड़ पाया। जिले में मुश्किल से एक या दो उद्योग हैं। कुछ उद्योग तो बंद ही हो चुके हैं। इसके अलावा छोटे उद्योगों से कोई बड़ा फायदा नहीं है। यदि युवाओं को रोजगार देना है तो सरकार को यहां उद्योग स्थापित करने का रास्ता खोलना होगा। हम खेती बाड़ी के हिसाब से एडवांस हैं। इस एरिया में काटन का उत्पादन ठीकठाक होता है। उस हिसाब से कपड़ा उद्योग लगाने की आवश्यकता है।

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किसान नेता मनफूल ढाका ने कहा कि आज यहां किसानों की हालत बहुत अच्छी है। बीते दो दशकों में ही किसानों की दशा में सुधार आया है। इसका श्रेय किसानों को ही दिया जाना चाहिए, क्योंकि सरकारों ने इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। किसान अपनी मेहनत से ऊपर उठे हैं। मगर खेती का तरीका दूषित होता जा रहा है। यदि सरकार ने ध्यान दिया होता तो खेती में अंधाधुंध कीटनाशकों व खादों का इस्तेमाल न होता। इसी वजह से आज खेती बहुत महंगी हो रही है। खेती पर लागत बहुत ज्यादा आ रही है। इसके अलावा किसानों को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। किसानों के हित की बात तो होती है, लेकिन वास्तव में उनके हित में निर्णय नहीं लिए जाते। आज एक फसल बर्बाद हो जाए तो किसान आत्महत्या करने की स्थिति में आ जाता है।

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शिक्षाविद् शैलेन भास्कर ने कहा कि समाज को विकसित करने के लिए शिक्षा का बहुत बड़ा रोल होता है। लेकिन शिक्षा के मामले में जिले की अनदेखी हुई है। फतेहाबाद जिला राजनीति में पिसता रहा। सिरसा व हिसार राजनीति के गढ़ रहे हैं। दोनों ही जिलों के नेता फतेहाबाद को अपना बताते रहे, लेकिन सुधार नहीं किया। पड़ोसी जिला हिसार व सिरसा पर गौर करें तो वहां दर्जन से ज्यादा कॉलेज व विश्वविद्यालय हैं। फतेहाबाद में विश्वविद्यालय तो दूर, शहर में सरकारी कॉलेज नहीं है। इसलिए जिला शिक्षा में पिछड़ा हुआ है। मेरा सुझाव है कि जिले में एक तकनीकी विश्वविद्यालय होना चाहिए जहां इंजीनिय¨रग व मेडिकल की पढ़ाई हो। सरकार को शिक्षा सुविधा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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अध्यात्मिक प्रचारक कौशल कुमार ने कहा कि जब विकास की बात आती है तो हम सिर्फ संसाधनों पर ध्यान देने लगते हैं। जबकि सामाजिक व नैतिक रूप से प्रदेश दिशाहीन हुआ है। आज नशाखोरी, जुआखोरी, सट्टेबाजी जैसी समस्याएं इसी का परिणाम है। दरअसल, बीते पचास सालों से हम सुविधाएं मांगते रहे। आज जिले में नशाखोरी गंभीर समस्या है। मेरा सुझाव है कि स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में नैतिक शिक्षा अनिवार्य हो। बच्चों को संस्कार सिखाए जाएं। उन्हें बुरे कार्यों के परिणाम बताए जाएं। सरकार शिक्षित बेरोजगारों के लिए 100 घंटे रोजगार की गारंटी वाली योजना लेकर आ रही है। मेरी राय है कि योग, अध्यात्म व नैतिक शिक्षा देने का कार्यक्रम इस योजना के तहत शुरू हो।

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सामाजिक कार्यकर्ता सुशील बंसल ने कहा कि आज प्रदेश में मानव संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। सरकारी विभागों में जाकर देखें तो वहां काम करने वाले नहीं है। सड़कों पर देखें तो पढ़े लिखे युवक बेरोजगार घूम रहे हैं। युवा पीढ़ी बेरोजगारी से तंग आकर अवैध धंधों की तरफ जा रही है। वह मानते हैं कि आज मानव संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा। सरकार ऐसी पॉलिसी बनाए जिसके जरिये सभी को रोजगार की व्यवस्था हो। जरूरी ये भी कि कानून को थोड़ा सख्त किया जाए। शराब तस्करी, जुआ व सट्टा जैसे अपराधों में तुरंत जमानत का प्रावधान नहीं होना चाहिए इससे अपराध कम होंगे।


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