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कर्मचारियों की हड़ताल ने घायल की जान ली

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल जानलेवा रूप ले चुकी है। टोहाना म

By Edited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 11:48 PM (IST)
कर्मचारियों की हड़ताल ने घायल की जान ली

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल जानलेवा रूप ले चुकी है। टोहाना में एंबुलेंस न मिलने से एक गंभीर रूप से घायल मरीज ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। घायल को गंभीर अवस्था में सिविल अस्पताल में लाया गया था। जहां से डॉक्टरों ने अग्रोहा के लिए रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस कर्मियों ने हड़ताल का हवाला देकर उसे ले जाने से मना कर दिया। इसी के चलते घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इधर, फतेहाबाद में जिला एंबुलेंस कंट्रोल रूम को भी कर्मचारियों ने ताला जड़ दिया जिसके बाद एंबुलेंस सेवा बिल्कुल ठप हो गई है। कर्मचारियों ने एंबुलेंस गाड़ियों व कंट्रोल रूम की चाबियां सिविल सर्जन को सौंप दी है। शहर के सिविल अस्पताल में बुधवार को भी नेशनल हेल्थ मिशन के तहत लगे कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। छह कर्मचारियों को बर्खास्त करने के विरोध में कर्मचारियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। पहले दिन पांच कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठे। जिला प्रधान एएनएम कृष्णा बाला, स्टाफ नर्स अनीता भारती, ओप्टोमेटिक्स कमलेश रानी, एंबुलेंस कर्मचारी राकेश कुमार तथा सूचना कर्मचारी रमेश कुमार को माला डलवाकर भूख हड़ताल पर बिठाया। सिविल सर्जन कार्यालय के अनुसार दूसरे दिन की हड़ताल में 50 प्रतिशत कर्मचारियों ने भाग लिया। जबकि यूनियन ने दावा किया कि हड़ताल सौ प्रतिशत कामयाब रही है। यानी मंगलवार की तरह कर्मचारियों ने हाजिरी लगा दी, लेकिन काम नहीं किया। हड़ताल का मुख्य असर एंबुलेंस सेवा पर पड़ा। रेफर तथा डिलीवरी केस में मरीज को ले जाने के लिए मरीजों को प्राइवेट साधनों का सहारा लेना पड़ा रहा है। दो दिन से इमरजेंसी में एंबुलेंस सेवा देने का दावा किया जा रहा था। लेकिन बुधवार देर शाम को कर्मचारियों ने एंबुलेंस कंट्रोल रूम को भी ताला जड़ दिया तथा चाबियां सिविल सर्जन को सौंप दी गई है। जिसके बाद एंबुलैंस सेवा बिल्कुल ठप्प हो गई हैं।

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टोहाना में ऐसे गई एक जान

सड़क हादसे में घायल एक अज्ञात व्यक्ति को कुलां से एंबुलेंस से नागरिक अस्पताल टोहाना लाया गया था। एंबुलेंस उसे छोड़कर वापस चली गई। अस्पताल में मेडिकल अधिकारी ने उसे अग्रोहा रेफर करने के लिए एंबुलेंस को फोन कर दिया। इस दौरान एंबुलेंस वालों ने हड़ताल का हवाला देते हुए उसे ले जाने से मना कर दिया। इस पर डॉक्टर ने एसएमओ डॉ. सतीश गर्ग को सूचना दी। एसएमओ के कहने पर कर्मी आए और एंबुलेंस में डालकर उसे ले जाने लगे, मगर तब तक देर हो चुकी थी। घायल को स्ट्रेचर पर लिटाते ही उसने दम तोड़ दिया। बाद में अस्पताल पहुंचे मृतक के भाई उपकेश ने बताया कि वे मंगलवार को ही बिहार से काम करने यहां आए थे और देर रात उसका भाई सड़क हादसे में घायल हो गया था जिसके बाद एंबुलेंस मिलने में देर हो गई और भाई ने यहीं दम तोड़ दिया। एसएमओ डॉ. सतीश गर्ग ने बताया कि एंबुलेस के कारण मौत नहीं हुई है। कुलां की एंबुलेंस घायल को छोड़कर चली गई थी। बाद में जब रेफर किया गया तो अस्पताल की एंबुलेंस कर्मियों ने एक बार ले जाने से मना कर दिया था लेकिन बाद में मेरे मनाने पर राजी हो गए थे। जब एंबुलेंस कर्मी ले जाने लगे तो घायल ने दम तोड़ दिया।

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विभागीय पत्राचार भी ठप हुआ

एनएचएम के तहत लगे कंप्यूटर ऑपरेटर भी हड़ताल में शामिल हुए। कंप्यूटर आपरेटर के न होने के कारण सिविल सर्जन कार्यालय में कामकाज ठप रहा। मुख्यालय से होने वाला पत्राचार दूसरे दिन भी नहीं हुआ। इसके अलावा सिविल सर्जन कार्यालय में कागजी काम के लिए आए आम लोगों को बैरंग लौटना पड़ा। दरअसल, आजकल पत्राचार ई मेल द्वारा ही होता है। आपरेटर न होने के कारण काम ठप हो गया। अधिकारियों को कंप्यूटर व ई मेल आदि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

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प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों की चांदी

एंबुलेंस सेवा बंद होने से प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों की चांदी हो रही है और आम जनता को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अस्पताल से रेफर होने वाले डिलीवरी, व घायल केसों के लिए तीमारदारों को प्राइवेट एंबुलेंसों का सहारा लेना पड़ रहा है। प्राइवेट एंबुलेंस संचालक इसका फायदा उठा रहे हैं। वे जानते हैं कि लोगों की मजबूरी है और सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल रही। इसलिए वे भी मनमाने रेट ले रहे हैं।

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मनाने का प्रयास किया जा रहा है: सिविल सर्जन

एनएचएम कर्मचारी कंट्रोल रूम की चाबी दे गए हैं। अब एंबुलेंस सेवा पूरी तरह बंद हो गई है। मैंने उन्हें कहा है कि एंबुलेंस सेवा बंद न करें। मैं अपने स्तर पर उन्हें एंबुलेंस चलाने के लिए उन्हें राजी करने का प्रयास कर रहा हूं। लेकिन फिलहाल वे मान नहीं रहे।

डॉ. अशोक चौधरी, सिविल सर्जन, फतेहाबाद।


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