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सितारों के आंगन धुंधली पड़ीं सुविधाएं

बलजीत जांगड़ा, समैन ऊबड़-खाबड़ जमीन .. चारों तरफ कांग्रेसी घास .. टूटे पड़े नलके .. नदारद बिजली। सुवि

By Edited By: Published: Fri, 26 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2016 01:00 AM (IST)
सितारों के आंगन धुंधली पड़ीं सुविधाएं

बलजीत जांगड़ा, समैन

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ऊबड़-खाबड़ जमीन .. चारों तरफ कांग्रेसी घास .. टूटे पड़े नलके .. नदारद बिजली। सुविधागत खामियों को दर्शाते ये कुछ चित्रण हैं गांव समैन में बने राजीव गांधी खेल स्टेडियम परिसर के। उस गांव के जहां से अनेक सितारे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खेल फलक पर अपनी छाप छोड़ चुके हैं। वह चाहे पुरुष हों अथवा महिला खिलाड़ी, क्रीड़ा क्षितिज के दमकते सितारे ..। पर, इन सितारों के आंगन खेल की बुनियादी सुविधाएं धुंधली पड़ गई हैं। बस, सिस्टम की उदासीनता के कारण।

सच तो यह कि कुश्ती के ओलंपिक दंगल में कांस्य पदक जीत भारतीय प्रतिभा की साक्षी के सिस्टम पर उठाए गए सवाल समैन के खेल स्टेडियम में भी मौजूं हैं। आईये, हम रूबरू कराते हैं इस स्टेडियम के हालात और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चमकते सितारों से। इस राजीव गांधी खेल स्टेडियम परिसर का मैदान ऊबड़-खाबड़ है जो दर्शाता है कि यहां अवलोकन के नाम खेल से जुड़ा सरकारी तंत्र खिलवाड़ करता रहा है। कारण कि यहां कई बार आ चुके हैं अधिकारी। हालात जस के तस। पूरे मैदान में घास उग आई है जिसे खुद काटकर खिलाड़ी अपना अभ्यास-क्रम जारी रखते हैं। ऐसा नहीं कि बस मैदान में ही सरकार व्यवस्था दम तोड़ रही है। यहां तो खेल

परिसर में पानी तक की व्यवस्था नहीं है। गर्मी से निजात दिलाने के लिए पंखे तो दूर बिजली तक का प्रबंध नहीं है। खिलाड़ी खेल के साजो-सामान के लिए तरस रहे सो, अलग ..। कबड्डी की अंतरराष्ट्रीय सितारा रामभतेरी गिल कहती हैं कि अभी तक न तो खेल के मैदानों को तैयार किया गया है और न ही यहां पर खेल का सामान विभाग द्वारा भेजा गया है। सतीश, नरेश, कालिया व धौलिया जैसे धुरंधर खिलाड़ी भी इससे अलग राय नहीं रखते। उनका भी कहना है कि इस सिस्टम में तो ओलंपिक जैसे मंच पर सोना-चांदी जीतना दिवा-स्वप्न ही दिखता है।

बहरहाल, वही कई पुराने सवाल एक साथ। आखिर क्यों नहीं बुनियादी सुविधाओं की सुध लेता शासन-तंत्र? करोड़ों अपेक्षाओं पर उदासीनता की आरी चलाने वालों के खिलाफ क्यों नहीं सख्त होता शासन? कब तक करोड़ों रुपये के बजट पर कुंडली मारे बैठा रहेगी व्यवस्था? खेल के आखिरी छोर तक क्यों नहीं हो पाता सुधार? सवाल अनुत्तरित .. ।

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संघर्ष की गाथा, रोजगार को मोहताज

परिस्थितियां प्रतिकूल थीं मगर रामभतेरी गिल ने तीन विश्व कप कबड्डी प्रतियोगिताओं में भारतीय दल का परचम लहराया। संघर्ष की नई गाथा लिख गई यह खिलाड़ी स्थाई रोजगार के लिए उच्च न्यायालय के चक्कर काटने को मजबूर है। प्रदेश सरकार का रवैया अब तक उदासीन ही रहा है।

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दर्जनभर महिला सितारा

कबड्डी खिलाड़ी दलबीर ¨सह गिल को शायद ही हरियाणा के लोग अभी तक भूले हो। रामभतेरी गिल, रेणू गिल, सुमन गिल, पोली गिल व मनीषा जांगड़ा सहित दर्जनभर से अधिक महिला खिलाड़ी राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपने गांव का नाम रोशन कर चुकी है।

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हर साल बढ़ रही अच्छे खिलाड़ियों की तादाद

गांव समैन में हर साल अच्छे व अनुशासित खिलाड़ियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। लेकिन सुविधाओं के टोटे में खिलाड़ी हांफने लगे हैं। पुरुष खिलाड़ियों में कालिया गिल, धौलिया गिल, नरेश गिल, काला राम, सतीश, नरेश कुमार ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी समूचे हरियाणा में अच्छी पहचान है। लेकिन खेल मैदान में खेल सुविधाओं व खाने-पाने के अभाव में खिलाड़ी खेल से दूर होते जा रहे हैं।


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