हर तीसरा आदमी मानसिक तनाव का शिकार
प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद स्वामी नगर के राजकुमार ने इसलिए आत्महत्या कर ली कि उसे स्थाई नौकरी नहीं मि
प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद
स्वामी नगर के राजकुमार ने इसलिए आत्महत्या कर ली कि उसे स्थाई नौकरी नहीं मिल रही थी। वहीं कुनाल का मंगत राम आर्थिक तंगी से परेशान था। किरढान के महीपत को अपनी पत्नी के चरित्र पर शक था। यह सुनकर अजीब लगता है कि कोई ऐसी समस्याओं के लिए जान भी दे सकता है। हो ऐसा ही रहा है। वजह ये है कि छोटी-छोटी समस्या बड़े तनाव की वजह बनी रही हैं। यूं तो जिले को बड़ा खुशहाल इलाका माना जाता है।
धन धान्य से भरपूर। बड़े शहरों की तुलना महंगाई भी कम है। हैरत की बात ये है कि हर तीसरे दिन कोई न कोई आत्महत्या का मामला सामने आ रहा है। चिकित्सकों की मानें तो इस खुशहाली के बीच भी हर तीसरा व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव ग्रस्त है। तनाव की मुख्य वजह भी आर्थिक तंगी और रिश्तों में खटास बन रही है।
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खर्चे ज्यादा, आमदनी सीमित
सामाजिक कार्यकर्ता रमेश जांडली के मुताबिक आर्थिक असमानता बहुत बढ़ रही है। नौकरीपेशा लोगों व बड़े जमींदारों के पास धन की कमी नहीं है। मगर छोटे किसानों, दुकानदारों, मजदूरों व गरीब परिवारों के सामने संकट है। खर्चे बहुत ज्यादा हैं और आमदनी सीमित होती है। आम परिवारों की औसतन मासिक आय 10 से 15 हजार तक सिमट जाती है, जबकि खर्चो की कोई सीमा नहीं है। समाज में प्रतिष्ठा को बनाए रखने की भी ¨चता है। परिवार के मुखिया पर तमाम जिम्मेदारियां रहती हैं। कहीं पति नहीं कमाता तो पत्नी परेशान है। यदि घर में कोई बीमार हो जाए तो मुसीबत आ जाती है। बहुत बड़ा वर्ग आर्थिक रूप से लाचार महसूस करता है।
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रिश्तों को निभा नहीं, ढोए जा रहे
सामाजिक विषयों पर अध्ययन कर रहे डॉ. सुदामा शास्त्री के मुताबिक आजकल संयुक्त परिवारों में लोग रहना पसंद नहीं करते। रिश्तों नातों को बोझ के रूप में देखा जाने लगा है। अभिभावकों की सलाह को हस्तक्षेप के रूप में महसूस किया जाता है। हरेक आदमी अपनी निजी लाइफ को अपने तरीके से जीना चाहता है। यहां तक कि पति-पत्नी भी एक दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर पाते। बच्चे माता-पिता का हस्तक्षेप नहीं चाहते, जबकि अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे हमारे अनुसार चलें। पति-पत्नी का एक दूसरे पर शक करना भी मानसिक परेशानी बढ़ात है। गलत रिवाज भी परेशान कर रहे हैं।
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ये भी तनाव हैं कारण
-प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने की होड़।
-प्यार में असफल होना।
-परीक्षा परिणाम खराब आना।
-संतान का गलत संगति में पड़ना।
-कोर्ट केसों के कारण परेशानी।
-व्यवसाय में घाटा लगना।
-पुरानी लाईलाज बीमारी।
-परिवार में उपेक्षा का शिकार होना।
-यौन उत्पीड़न होना।
-अभिभावकों व शिक्षकों का प्रेशर।
-दूसरे द्वारा ब्लैकमेल किया जाना।
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जिले में आत्महत्या के मामले
वर्ष मामले
2011 74
2012 83
2013 89
2014 94
2015 113
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पीड़ित को न छोड़ें अकेला: डॉक्टर
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश का कहना है कि मानसिक पेरशानी के कई कारण हो सकते हैं। मानसिक रूप से परेशान व्यक्ति का इलाज संभव है। बशर्ते उसे माहौल प्रदान करना होगा। जिस कारण तनाव बढ़ता है, वह माहौल पीड़ित को न दिया जाए। उसका ध्यान मनोरंजन की तरफ बढ़ाया जाए। कोशिश करें कि उसका ध्यान उस विषय से हटाया जाए, जहां तनाव बढ़ता है। रोगी को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए, इससे तनाव बढ़ता है। इसके अलावा काउंस¨लग भी बहुत जरूरी है, जिसमें रोगी को समझाने प्रयास किया जाता है। आत्महत्या का इरादा हर समय नहीं रहता, बल्कि कुछ पल के लिए विचार उठते हैं। यदि उस समय उसे रोक लिया जाए तो वह अपना इरादा बदल देता है।