नारी शक्ति की नाज, न्याय की सुमन
वक्त ने भी क्या खूब करवट बदली है। जिस प्रदेश में कन्याओं की सांसों पर पहरे की पुरुषवादी परंपरा रही,
वक्त ने भी क्या खूब करवट बदली है। जिस प्रदेश में कन्याओं की सांसों पर पहरे की पुरुषवादी परंपरा रही, वहां की नारी शक्ति ने विश्व के सबसे बड़े भारतीय लोकतंत्र के चारों स्तंभों पर अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित कर यह अहसास करा दिया कि वह श्रद्धा ही नहीं शक्ति भी है। भले ही वह विधायिका हो अथवा कार्यपालिका, मीडिया हो अथवा न्यायपालिका-प्रतिकूल परिस्थतियों के बावजूद जनतांत्रिक व्यवस्था के हर मोड़ पर प्रदेश की महिलाओं ने खुद को स्थापित किया है। देश की सर्वोच्च नागरिक सेवा (भारतीय प्रशासनिक सेवा) से लेकर न्यायिक सेवा तक दमदार मौजूदगी सुखद अनुभूति देती है। प्रदेश की न्यायिक व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर तकरीबन 167 नारियों के हाथों में न्याय का तराजू इस हकीकत की पुष्टि करता है।
सतभूषण गोयल, टोहाना
जिन नारी शक्तियों के हाथों ने न्यायिक क्षेत्र में खुद को स्थापित किया है, उनमें शुमार है तहसील स्तर के शहर टोहाना की बेटी सुमन पातलेन। वह सुमन जो इन दिनों चंडीगढ़ की जिला अदालत में बतौर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायपालिका को सेवाएं दे रही हैं। ऐसी बेटी जिनके पिता जगरूप पातलेन यह कहते नहीं अघाते कि लाडो ने न केवल खुद को स्थापित किया बल्कि उन्हें भी गौरवान्वित किया .. नारी समाज की वह सुमन जिसकी महक पर नाज है ..।
सच तो यह कि पितृसत्तात्मक समाज ने जो पूत के पांव पालने में कहावत गढ़ी थी, सुमन के पिता जगरूप पातलेन उसकी जगह पुत्री के पांव पालने में अधिक मुफीद समझते हैं। वह बताते हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही मजबूत इरादों वाली रही है। किसी भी मोड़ पर विचारों में कमजोरी नहीं आई। बेटी सुमन के गुजरे दिनों की याद ताजा कर बताते हैं कि वह सकारात्मक सोच शुरू से ही रखती थीं। एमए करने के बाद तो ये तथ्य सामने ही आ गए। समाज से अन्याय को दूर भगाने के उनके जज्बात ज्युडिशियल सर्विस में आने के बाद मुकाम पर पहुंच रहे हैं। हां, यह अलग बात है कि सुमन ने अपने जज्बात को जुनून की हद तक कठिन परिश्रम व लगन के पंख दिए।
सुमन पातलेन ने टोहाना राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की जबकि स्नातक की पढ़ाई उसकी टोहाना में ही श्री दुर्गा महिला महाविद्यालय में पूरी की। उन्होंने स्नातक के बाद चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए की तथा पंजाब विश्वविद्यालय में कानून विषय की पढ़ाई कर न्यायिक परीक्षा पास की। इस समय वह चंडीगढ़ के डिस्ट्रिक कोर्ट में ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं। सुमन पातलेन का कहना है कि बचपन में पढ़ते-पढ़ते ही अपने मन में ठान लिया था कि वह बड़ी होकर अन्याय क खिलाफ लड़ेगी। उनका कहना है कि इस मुकाम तक पहुंचाने में जहां उनके माता-पिता का योगदान रहा वहीं उनके गुरुजनों का भी विशेष योगदान रहा जिनके मार्गदर्शन में वह अपनी मंजिल का प्राप्त कर सकी।
खत्म हो सामाजिक विसंगति : सुमन पातलेन
न्यायिक दंडाधिकारी सुमन पातलेन का कहना है कि यह स्वर्णिम युग है। अब तो सामाजिक विसंगतियां खत्म होनी ही चाहिए। महिलाएं हर मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रही हैं। हालांकि अभी मंजिल तक पहुंचने के लिए और भी कदम उठाने होंगे। वह कहती हैं कि सबको न्याय मिले। वह किसी के विरुद्ध अन्याय नहीं होने देंगी।
न्यायपालिका में महिलाएं
- डिस्ट्रक्ट एंड सेशन जज : 8
- एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज : 29
- सिविल जज : 10
- चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट : 5
- एडिशनल सिविल जज जेएमआइसी : 21
- सिविल जज जूनियर डिविजन : 72
- ट्रेनी ज्युडिशियल ऑफिसर : 23