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हे'भगवान', इतनी भी क्या बेरुखी!

प्रवीण शर्मा, फतेहाबाद: दृश्य एक : सरकारी नागरिक अस्पताल की लेबोरेट्री। यहां मरीजों व उनके परिजन

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)
हे'भगवान', इतनी भी क्या बेरुखी!

प्रवीण शर्मा, फतेहाबाद:

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दृश्य एक : सरकारी नागरिक अस्पताल की लेबोरेट्री। यहां मरीजों व उनके परिजनों की लंबी कतार। किसी को ब्लड रिपोर्ट लेनी है तो कोई स्टूल टेस्ट की जांच रिपोर्ट के लिए प्रयासरत है। बड़ी सी लाइन में दसवें नंबर पर साठ साल के रामकिशन अपनी पत्नी की बलगम टेस्ट रिपोर्ट की माथापच्ची कर रहा है। लैब टेक्नीशियन के चेहरे पर बेचारगी के भाव। वाजिब कारणों से। वह अकेला इतने लोगों को किस तरह समय पर रिपोर्ट दे।

²श्य दो:

रतिया तहसील से आई बीरमति फिजीशियन की तलाश में इधर-उधर भटककर चिकित्सक के कमरे के सामने बेंच पर बैठ जाती है। उसके नजदीक से एक नर्स गुजरती है। वह झपटकर उसके पास पहुंचती है और रुआंसे होकर डॉक्टर साहब के आने का सवाल करती है। जवाब सुन बीरमति की आंखों के आंसू फर्श पर टपक पड़े। उस नर्स ने कहा था-कौन-सा फिजीशियन? यहां तो इस पद पर कोई डॉक्टर है ही नहीं। दरअसल, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी दावे नागरिक अस्पतालों में हवा-हवाई ही साबित हो रहे हैं। न तो डायग्नोसिस करने वाले चिकित्सक और न ही लैब टेक्नीशियन की उपलब्धता। सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड मशीन अथवा वेंटीलेटर का लाभ तो दूर की बात, नर्सो व स्टेनो तक के पद खाली पड़े हैं। ऐसा भी नहीं कि देवता स्वरूप चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हुई। अभी पिछले महीने ही 14 चिकित्सकों की जिले में नई नियुक्ति हुई थी, लेकिन इनमें से 5 चिकित्सकों ने ही ड्यूटी ज्वाइन की। खासकर, ग्रामीण अंचल में सेवाएं देने से कतरा रहे नव नियुक्त चिकित्सक। स्वाभाविक ही मरीजों व उनके परिजनों के कंठ से आह निकलती-हे भगवान इतनी भी क्या बेरुखी ..।

----दिनभर भटकना पड़ता है मरीजों को

मरीज अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आते हैं, लेकिन अस्पताल में व्यवस्था न होने के कारण उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ता है। पहले पर्ची के लिए लाइन में, फिर चिकित्सक से मिलने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। इसके बाद भी मरीज को ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट, एक्स-रे करवाने के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ता है। आखिरकार जब कोई चिकित्सक रिपोर्ट की जांच करने के बाद दवाई लिखकर दे देता है तो फिर मरीज दवाई के लिए काफी देर तक लाइन में खड़े रहते हैं। जब उसकी बारी आती है तो पता चलता है कि यह दवाई तो अस्पताल में है ही नहीं।

--इन पदों पर इतनी नियुक्तियां

जिले में 3 सामान्य अस्पताल हैं। फतेहाबाद, रतिया व टोहाना। पीएचसी की संख्या 19 व सीएचसी 4 हैं। इसके अनुसार जिले में डिप्टी सिविल सर्जन के 8 पद हैं, सभी खाली हैं। एसएमओ के 11 पद में 5 भरे हुए हैं। चिकित्सक के 126 पदों पर 58 कार्यरत हैं। डेंटल चिकित्सक 26 पदों पर 10 भरे हुए है। अकाउंटेंट के 11 पदों में से 5 भरे हुए हैं। स्टेनो 6 के 6 पद खाली हैं। क्लर्क 21 में से 10 कार्यरत, स्टाफ नर्स के 138 पदों में से 78 भरे हुए हैं। फार्मासिस्ट 41 में 25 भरे हुए हैं। एनएनएम के 104 पद में से 75 भरे हुए हैं। मेल वर्कर में 174 पदों पर 35 कार्यरत हैं। लैब टेक्नीशियन के 36 पद पर 13 कार्यरत है। रेडियोग्राफर 11 पद में से 3 भरे हुए हैं। क्लास फोर के 78 पदों में 50 भरे हुए हैं। सफाई कर्मचारी 33 पद में से 23 भरे हुए हैं बाकी खाली पड़े हुए हैं।

- पत्र भेजा गया गया है: डॉ. मुनीष बंसल

सिविल सर्जन का पदभार संभाल रहे भट्टूकलां के एसएमओ डॉ. मुनीष बंसल का कहना है कि खाली पदों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा हुआ है।


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