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'कमजोर' कलाइयां, स्नेह की डोर, शिक्षा का बंधन

सुरेश सोलंकी, भट्टूकलां नाम के अनुरूप मध्य एवं उच्च वर्गीय परिवारों का मॉडल टाउन। यहां मझोले साइज

By Edited By: Published: Sat, 29 Aug 2015 02:45 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2015 02:51 AM (IST)
'कमजोर' कलाइयां, स्नेह की डोर, शिक्षा का बंधन

सुरेश सोलंकी, भट्टूकलां

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नाम के अनुरूप मध्य एवं उच्च वर्गीय परिवारों का मॉडल टाउन। यहां मझोले साइज का एक कमरा जो एक हजार रुपये प्रति माह के किराये पर लिया गया है। कमरे में बिछाई हुई दरी। उस पर बैठे अभिषेक, सतपाल, कीर्ति, अजय, सोनू, प्रवीण, नीनू जैसे देश के कई भविष्य। ये सभी उस तबके से हैं जो हाशिये पर धकेल दिए गए। आर्थिक रूप से कमजोर और वाजिब कारणों से ही शिक्षा के प्रकाश से दूर भी। हां, भरी दोपहरी के कारण सूर्य का प्रखर तेज जरूर इस कमरे को प्रकाशमान बनाए है। कमरे में दो बहनें-प्रीति व लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। अज्ञानता के अंधेरे को दूर करने को लालायित व अनुशासित बच्चों के कंठ से अनायास ही फूूटता है-नमस्ते दीदी, नमस्ते दीदी ..।

अद्भुत व अनुकरणीय श्रद्धा। शायद इसलिए भी कि श्रद्धा के मार्ग ही ज्ञान प्रशस्त होता है। शिष्टाचार के पश्चात महज 11वीं कक्षा की छात्राएं प्रीति व लक्ष्मी भी इन बच्चों को ज्ञान मार्ग पर लेकर चली जाती हैं। बताने की जरूरत नहीं कि कमजोर तबके के ये बच्चे इन दो बहनों में अपनी सगी बहन का अक्स देखते हैं और ये दोनों बहनें भी बच्चों में अपने सगे भाई की छवि निहारती हैं। प्रीति कहती है कि शिक्षा से वंचितों तक ज्ञान की लौ पहुंचाने से बड़ा सुकून नहीं। इन्हें पढ़ाकर असीम संतुष्टि मिलती है। ये सभी बच्चे प्रताप नगर के कूड़ा बीनने वाले परिवारों से हैं। बच्चों की दूसरी बहन लक्ष्मी बताती है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को थोड़ा-सा स्नेह देकर उन्हें शिक्षा की डोर से बांधा जा सकता है। ये भाई सगे से बढ़कर होते हैं। रक्षाबंधन पर इतने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधना सुखद अनुभूति देता है।

बता दें कि ये दोनों बहनें भट्टू मंडी के एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। खुद की जेब खर्च से इन बच्चों के लिए मॉडल टाउन में किराये का कमरा लेकर पढ़ाई करा रही हैं। समाजशास्त्री डॉ. शकुंतला नांदल कहती हैं कि सुशिक्षित समाज के लिए ऐसे यत्न तो करने ही चाहिए। कुल मिलाकर, फतेहाबाद जैसे शैक्षणिक व आर्थिक तौर पर पिछड़े जिले में प्रीति व लक्ष्मी का गागर में सागर भरने का प्रयास अनुकरणीय, प्रशंसनीय व प्रेरक है।

जिले में साक्षरता दरकुल साक्षरता : 69.1 फीसद

पुरुष साक्षरता : 78.1 फीसद

महिला साक्षरता : 69 फीसद।


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