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फसल उखाड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : कपास में सफेद मक्खी का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि किसान खुद को बेबस महस

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 07:35 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 07:35 PM (IST)
फसल उखाड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : कपास में सफेद मक्खी का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि किसान खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं। इसका प्रकोप इतना बढ़ जाएगा, यह तो कृषि विभाग के अधिकारियों ने कभी नहीं सोचा था। अब सफेद मक्खी के उपचार को लेकर कृषि विभाग ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। किसानों की मजबूरी देखिए, यदि फसलों की देखभाल करते हैं तो घाटा लगता है। यदि फसल उखाड़ते हैं तो दूसरा कोई विकल्प नहीं, क्योंकि धान की रोपाई का समय भी जा चुका है। इस स्थिति में किसानों का मानना है कि अब तो फसल उखाड़ने में ही भलाई है। हालांकि कृषि विभाग के वैज्ञानिक किसानों को सफेद मक्खी रोग से बचाव के लिए घरेलू नुस्खे बता रहे हैं। अधिकारियों को मानना है कि उससे इस बीमारी को कम किया जा सकता है।

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किसानों ने 15 एकड़ से अधिक कपास की फसल उखाड़ी

गांव गोरखपुर व आसपास के गांवों में सफेद मक्खी का प्रकोप इस कदर है कि फसल पूरी तरह खराब हो गई है। इस फसल पर कोई दवा भी असर नहीं कर रही इसलिए किसान अपनी खराब हुई कपास की फसल को उखाड़ रहे हैं। किसान रामस्वरूप, रमेश, दिलबाग ¨सह, मुकेश, सुरजीत का कहना है कि फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। इस कारण उन्होंने कपास की फसल उखाड़ी है। विभाग के अधिकारियों के पास भी इस सफेद मक्खी का समाधान नहीं है।

80 हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल

जिले में 80 हेक्टेयर भूमि पर कपास की फसल की बिजाई की है। लगभग सभी इलाके में सफेद मक्खी का प्रकोप है। किसान एक सप्ताह में दो बार कीटनाशक का छिड़काव भी करते है लेकिन सफेद मक्खी का प्रकोप कपास की फसल में कम नहीं हो रहा है।

ऐसे होता है कि सफेद मक्खी का प्रभाव

सफेद मक्खी का प्रभाव इस कदर होता कि कुछ ही दिनों में कपास के पूरे पौधे को जला देती है। यह एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ पत्तों पर छोड़ती है। इसके प्रभाव से कुछ ही दिनों में नरमे का पौधा जलने लग जाता है। इस कारण कपास की फसल में बौकी व ¨टडे नहीं लग पाते।

दवाओं से राहत है, उपचार नहीं : डीडीए

डीडीए बलवंत ¨सह के अनुसार प्रति एकड़ के हिसाब से नीम तेल एक लीटर या डायफेनशियूरान (पोलो)-325 ग्राम या बूपरोफेजिन (अपलौड)-400 मिलीलीटर डाल सकते हैं। इसके अलावा ट्रायजोफास-600 मिलीलीटर या इथियान-800 मिलीलीटर या ऐसीफेट 350 ग्राम या स्पायरोमेसीफेन (ओबरान)-200 मिलीलीटर प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा कपास की फसल में कट्टों पर ग्रीस लगाकर खेत में तीन चार जगह पर लगा दे। इससे सफेद मक्खी का प्रकोप कुछ कम होगा।


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