विज का फरमान, मीट विक्रेता बेचैन, अफसर परेशान
प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद स्वास्थ्य मंत्री के एक आदेश ने कइयों को ¨चता में डाल दिया। इधर, मीट विक्र
प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद
स्वास्थ्य मंत्री के एक आदेश ने कइयों को ¨चता में डाल दिया। इधर, मीट विक्रेता बेचैन हैं तो दूसरी तरफ तीन विभागों के अफसर हैरान परेशान हैं। विज ने कहा है कि मीट की दुकानों पर कटने वाले हर जानवर की पहले पशु चिकित्सक जांच करेगा और फिर स्वास्थ्य विभाग। मगर व्यावहारिकता में यह सब आसान नहीं है। क्योंकि मीट विक्रेताओं के ठिकानों तक तीनों विभागों का पहुंच पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव भी प्रतीत होता है। रोजाना सैकड़ों की संख्या में मुर्गे व बकरे कटते हैं। इतनी संख्या में पशुओं का चेकअप करना भी आसान नहीं है। चूंकि यह आदेश डीसी या एसडीएम के नहीं, बल्कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के हैं। ऐसे में अधिकारी आदेशों को नजरअंदाज भी नहीं कर सकते। फिलहाल अधिकारियों के मंत्री के आदेशानुसार तीर छोड़ने शुरू कर दिए हैं। निशाने पर लगेंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मीट विक्रेताओं पर शिकंजा कसने के लिए नप, पशु पालन व स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम करेंगे। बकायदा नगर परिषद प्रशासन ने तो मीट विक्रेताओं को नोटिस भी जारी कर दिया है। एक या दो दिन में सभी के पास नोटिस पहुंच जाएंगे। इसके बाद कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
बड़ी समस्या, स्लाटर हाउस नहीं
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि मीट की दुकानें जगह-जगह नहीं होनी चाहिए। इनके लिए एक जगह निर्धारित हो। हालांकि नप की तरफ से इनके लिए स्लाटर हाउस बनाया गया था, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाया। इस समय शहरों व गांवों में जगह-जगह दुकानें चल रही हैं। इतनी संख्या में दुकानों पर निगरानी रखना और नियमित चे¨कग बड़ा मुश्किल कार्य है।
आसान नहीं रोजाना चेकअप
स्वास्थ्य मंत्री के आदेश हैं कि जानवरों के कटने से पहले उनके स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए। उसके बाद ही कटेगा। जिले भर में रोजाना सैकड़ों की संख्या में मुर्गे व बकरे कटते हैं। लगता नहीं कि हर रोज पशु चिकित्सक सभी जानवरों का चेकअप कर पाएंगे। दूसरी बात, मीट तो छुट्टी वाले दिन भी कटना है। क्या चिकित्सक सुबह से शाम तक मीट की दुकानों पर पहरा दे पाएंगे। जाहिर है कि अब औपचारिकता ही होगी।
ये हैं मुख्य आदेश
- मीट की दुकानें भीड़भाड़ वाले इलाकों में नहीं होनी चाहिए।
- हर जानवर को काटने से पहले पशु चिकित्सक उसकी जांच करेगा।
- कटे हुए मीट की स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक नियमित जांच करेंगे।
ये दिया है विकल्प
मीट विक्रेताओं को हर जानवर का पशुपालन विभाग से चेकअप कराना होगा। यदि ऐसा नहीं कर पाते तो बाहर से पे¨कग बंद मीट लाकर बेच सकते हैं। शर्त ये है कि वह चेक हुआ हो। इस बात की गारंटी हो कि जानवर में कोई रोग नहीं था।
औपचारिकता की संभावना ज्यादा
- कैसे पता चलेगा कि किसी मीट विक्रेता ने दिन में कितने जानवर काटे हैं?
- गांवों में चल रही मीट की दुकानों तक विभाग कैसे पहुंच पाएंगे?
- ये कैसे पता चलेगा कि पशु चिकित्सकों ने चेकअप किया या सिर्फ कागजी कार्रवाई है।
तीनों विभाग काम करेंगे : ईओ
नप ईओ ओपी सिहाग ने बताया कि वे इस मामले में कोई औपचारिकता नहीं करेंगे। स्वास्थ्य विभाग, नप व पशु पालन विभाग मिलकर काम करेंगे। अब कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मीट की बिक्री संभव होगी।