बैसाखियों के सहारे चल रहा सामान्य अस्पताल
सतभूषण गोयल, टोहाना सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लाख दावे करती है। इन दावों की हकीकत देखती
सतभूषण गोयल, टोहाना
सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लाख दावे करती है। इन दावों की हकीकत देखती है तो शहर के सामान्य अस्पताल में चले आइए। इस अस्पताल की क्षमता अक्सर बिस्तरों से मापी जाती है। मगर सच तो ये है कि इस अस्पताल में बैड ही हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। क्योंकि मरीजों को उपचार के लिए बैड नहीं, बल्कि चिकित्सकों की जरूरत होती है। पचास बैड वाले इस अस्पताल में जैसे-तैसे काम चल रहा है। इस अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ नहीं है। कहने को तो चार चिकित्सक हैं, लेकिन एक समय में दो ही चिकित्सक ड्यूटी पर होते हैं। चारों चिकित्सकों की बारी-बारी से ड्यूटी लगती है। ये चिकित्सक सामान्य रोगियों की जांच कर सलाह तो दे सकते हैं, इससे ज्यादा इनके हाथ में कुछ नहीं। ऊपर से जिम्मेदारियां इतनी ज्यादा रहती हैं कि वे अपने काम को पूरा समय ही नहीं दे पाते। एसएमओ सतीश गर्ग अल्ट्रासाउंड का जिम्मा संभालते हैं। इसके अलावा उन पर अस्पताल प्रबंधन की भी जिम्मेदारी रहती है। समय-समय पर विभागीय कामकाज भी देखना होता है। जब उनकी ड्यूटी पूरी होती है तो डॉ. हर¨वद्र ¨सह सागू एसएमओ का जिम्मा संभालते हैं। उनके अलावा डॉ. हनुमान व डॉ. कुनाल वर्मा चिकित्सा अधिकारी हैं। ये दोनों चिकित्सक शिफ्टों के हिसाब से बदलते रहते हैं। चूंकि अस्पताल में आपात कक्ष में हर समय एक चिकित्सक मौजूद रहना जरूरी है। इसलिए ये दोनों चिकित्सक बारी-बारी से आपात कक्ष में ड्यूटी देते हैं। इस बीच उन्हें इमरजेंसी मरीजों को देखना जरूरी होता है। बीच में पोस्टमार्टम आदि के भी जाना पड़ता है। सामान्य रोगियों के चेकअप की भी जिम्मेदारी इन्हीं पर है। रोजाना करीब 300 ओपीडी होती हैं। प्रत्येक रोगी का चेकअप करना और उपचार करना बहुत कठिन हो जाता है। रोगी अपनी बारी का इंतजार करते रहते हैं। :::::: लोग करते हैं भूना से तुलना
लोगों का कहना है कि भूना जैसे छोटे से कस्बे में बने अस्पताल में 6-6 चिकित्सक तैनात हैं लेकिन टोहाना में चिकित्सकों की कमी क्यों बनी हुई है। उन्होंने जिला चिकित्सा अधिकारी से मांग की है कि वह जब तक टोहाना में नये चिकित्सक नहीं आते, तब तक भूना से ही दो चिकित्सकों को टोहाना में तैनात कर दें। इससे रोगियों को बड़ी राहत मिलेगी और चिकित्सक भी पूरा समय दे पाएंगे। :::::::::: उच्चाधिकारियों को लिखा है: एसएमओ
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश गर्ग का कहना है कि वह इस संदर्भ में उच्च अधिकारियों को लिख चुके हैं। हालांकि मजबूरी में काम चलाना पड़ता है। सच यही है कि मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते क्योंकि रोजाना तीन सौ मरीजों का उपचार करना बहुत मुश्किल काम है। यहां कम से कम दस चिकित्सक होने चाहिएं।