30 फीसद बच्चों के दांतों में तकलीफ
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : बच्चों में दांतों की तकलीफ आम बात हो गई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाल
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : बच्चों में दांतों की तकलीफ आम बात हो गई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 30 फीसद बच्चों के दांतों में कोई न कोई तकलीफ रहती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूलों में जाकर बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी जांच की जाती है। उसमें सामने आया है कि ज्यादातर बच्चे दांतों की नियमित रूप से सफाई नहीं करते। काफी बच्चे सप्ताह में एक या दो बार मुश्किल से ब्रश करते हैं। गरीब परिवारों में यह समस्या ज्यादा आ रही है कि बच्चे दांतों की देखभाल नहीं करते। जांच के बाद उनका स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उपचार भी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय समय पर सरकारी स्कूलों में जाकर स्वास्थ्य जांच शिविर लगाए जाते हैं। उनमें बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य जांच होती है। उस जांच के दौरान बच्चों में खून की कमी व दांतों की तकलीफ सबसे ज्यादा पाई जाती है। जांच के बाद बच्चों को कुछ परामर्श दिए जाते हैं। यदि किसी बच्चे को ज्यादा तकलीफ हो तो उपचार के लिए सरकारी अस्पताल भेजा जाता है। इसके बाद भी ऐसे में लगता है कि बच्चों में इस बारे जागरूकता की कमी है।
ये है तकलीफ की वजह : चिकित्सकों की मानें तो बच्चों का खान पान की इसकी सबसे बड़ी वजह है। आजकल बच्चे दिन भर कुछ नहीं कुछ खाते रहते हैं। ज्यादातर बच्चे सुबह एक बार ब्रश करते हैं। दिन भर मीठी व चटपटी चीजें खाते हैं। कुछ तो रात को मीठी चीज खाकर सोते हैं। इससे दांतों में कीड़े लग जाते हैं। मसूड़े कमजोर हो जाते हैं और दांतों में दर्द होता है।
उपचार के साथ परहेज जरुरी : डॉक्टर : सामान्य अस्पताल के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप गौरी बताते हैं कि अब छोटे छोटे बच्चों में दांतों की तकलीफ पाई जा रही है। नियमित रूप से ब्रश न करना व मीठी चीजें खाना इसकी वजह है। हालांकि हम उपचार करते हैं, लेकिन दांतों की नियमित देखभाल जरूरी है। यदि दांतों की देखभाल न की जाए तो तकलीफ बढ़ती चल जाती है।