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शहरों में खटारा बसें, गांवों में जुगाड़

मानकों का ध्यान नहीं रखते अधिकांश स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ रहीं धज्जियां जागरण

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 12:58 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 12:58 AM (IST)
शहरों में खटारा बसें, गांवों में जुगाड़

मानकों का ध्यान नहीं रखते अधिकांश स्कूल संचालक

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सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की उड़ रहीं धज्जियां

जागरण अभियान : किस्त प्रथम

फोटो 01

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : कमाई के फेर में स्कूल संचालक सड़क सुरक्षा को अक्सर नजरअंदाज करते हैं। यदि शहर में चलने वाली स्कूली बसों पर गौर करें तो समस्या को नहीं समझ सकते। इसके लिए गांवों में जाना होगा। गांवों में ऐसी खटारा बसें चलती हैं, जो शायद चलने के लायक नहीं होती। शहर में चलने वाली बसों पर पुलिस व अधिकारियों की नजर रहती है। इसलिए स्कूल संचालक थोड़ा सा सतर्क रहते हैं। हालांकि फिर भी कई बसें खटारा ही होती हैं। यदि गांवों में चलने वाली स्कूली बसों की हालत देखें तो स्थिति चिंताजनक है। गांवों में तो जुगाड़ चलते हैं।

जिले में मान्यता व गैर मान्यता वाले कुल मिलाकर लगभग 500 स्कूल हैं। इनमें से लगभग 200 ऐसे स्कूल हैं, जो बस सेवा दे रहे हैं। इनमें से मुश्किल से 30 स्कूल हैं, जो शहर के बीच स्थिति हैं और जिन्हें बस सेवा की जरुरत नहीं पड़ती। अधिकांश बड़े स्कूल शहरी क्षेत्र से बाहर हैं। कई मान्यता प्राप्त स्कूल तो गांवों में बने हुए हैं। उन स्कूलों का कारोबार की बस सेवा पर टिका हुआ है। कुछ बच्चे शहर से आते हैं तो कुछ बच्चे गांवों से। शहर में बच्चों को लाने ले जाने के लिए रिक्शा व टाटा एस जैसे छोटे वाहन से भी काम चल जाता है। मगर गांवों से बच्चे लाने के लिए बस की जरुरत पड़ती है।

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यहां कौन करे चेकिंग

शहर में स्कूल संचालकों को बसों की चेकिंग का डर रहता है। इसलिए अच्छी हालत वाली बसें शहर में चलाई जाती हैं। गांवों में लिंक मार्गो पर कोई चेकिंग नहीं होती। इसलिए खस्ताहाल बसों को गांवों में चलाया जाता है। कई स्कूल तो बस नहीं, जुगाड़ चला रहे हैं।

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कई वाहनों की नहीं पहचान

गांवों में स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाले कई वाहनों की पहचान तक नहीं होती। गांवों में जीप, टाटा एस, पिकअप आदि वाहनों में बच्चे ले जाए जाते हैं। उन वाहनों पर स्कूल का नाम व पुलिस कंट्रोल नंबर आदि कुछ नहीं लिखा होता। इस स्थिति में हादसा होने पर किसी स्कूल को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता।

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गाइड लाइन दे चुके हैं: आरटीए

आरटीए नरेंद्र पाल ने बताया कि हाल ही में स्कूल बसों के संबंध में सरकार की गाइड लाइन आदि थी। इसको लेकर स्कूल संचालकों को अवगत करा दिया था। यदि अब कोई लापरवाही करते हैं तो शिकंजा कसा जाएगा।


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