17 बरस के फतेहाबाद को अब चाहिये शान-शौकत
राकेश सिहाग, फतेहाबाद : आज 15 जुलाई को फतेहाबाद जिला 17 साल का हो गया है। इस आयुवर्ग में जैसे एक युवा को शान-शौकत वाली सुविधाएं चाहिये, वैसे ही जिले को जरूरत है। जिले ने 17 वर्ष के इस दौर में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे। मुगल शासक फिरोजशाह तुगलक के पुत्र फतेह खां के नाम से बसाये शहर फतेहाबाद ने अनेक असुविधाएं झेलने के बावजूद प्रगति भी खूब की है। जो लोग ढाबों में जाते थे, वो अब होटलों में जाते हैं। प्राइवेट कालोनियां विकसित हो गई तो बड़े-बड़े मॉल भी खुले हैं। ब्रांडिड कपड़े, जूते पहन महंगी कारों पर लोगों को घूमते देखते हैं तो ऊंचा उठा जीवन स्तर भी दिखता है। 15 जुलाई 1997 को जिले के रूप में अस्तित्व में आये फतेहाबाद के बर्थ-डे पर हम इतिहास के पन्नों को टटोलने के साथ ही वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए भविष्य का भी खाका खींच रहे हैं।
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इतिहास के झरोके से फतेहाबाद
सुलतान फिरोजशाह तुगलक ने शहर में अनेक मस्जिदों व भव्य इमारतो का निर्माण करवाया। फतेहाबाद किले के उपरी हिस्से में एक ईदगाह अपने प्रागण के बिल्कुल मध्य में एक गोलाकार स्तम्भ लिए हुए हैं। बलुआ मिट्टी, लाल, सफेद पत्थर व लोहे के मिश्रण से बनी इस लाट पर तुगलक वंश से सम्बधित सक्षिप्त जानकारी खुदी हुई है। कई इतिहासकार इस लाट को अशोक का कीर्ति स्तम्भ मानते हैं। कुछ इतिहासकार इस लाट को हिन्दू शासक द्वारा निर्मित मानते हैं, क्योकि इस पर खुदे अक्षरों में संस्कृत भाषा के शब्द भी पाये जाते हैं। सन् 1860 में फतेहाबाद को तहसील घोषित किया गया और 1961 में उपमंडल का दर्जा मिला।
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बॉक्स :: पहले ऐसा था फतेहाबाद
पुराने समय में इस क्षेत्र में भील जाति के लोग बसा करते थे और यह क्षेत्र उदयानगरी के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में घने जंगल होने के कारण यहा जगली जानवर काफी मात्रा में पाए जाते थे। शिकार के शौकीन बादशाह फिरोजशाह तुगलक भी इस स्थान के प्रति आकर्षित हुए बिना न रह सका। 23 अगस्त 1351 को तुगलक के घर पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र की खुशी व अपनी स्थिति सुदृढ़ होने पर हुई फतेह पर वहा एक नगर बसाया जिसका नाम फतेहाबाद रखा और नवजात शिशु का नाम फतेह खां रखा।
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बॉक्स :: ऐसा है जिले के अन्य कस्बों का इतिहास
== टोहाना : टोहाना जिला की प्रमुख तहसील है। हरियाणा के जिला हिसार में हासी के पश्चात टोहाना का किला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस किले पर 38 बार विदेशी आक्रमण हुए जिससे इसकी महत्ता और आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है। सिंधु सभ्यता काल में टोहाना एक विकसित नगर रहा है। सरस्वती नदी के किनारे बसे इस नगर की चर्चा अष्टाध्यायी के प्रसिद्ध व्याकरणशास्त्री पाणिनि ने भी की है। किले और बावड़ी के मध्य एक सरोवर बनवाया जिसके सम्बन्ध में प्रसिद्ध है कि इसकी सीढि़या काच की थी। यह सरोवर आज भी अनंगसागर के नाम से जाना जाता है। उसने इस आबादी का नाम अपने वंश तोमर के नाम तुराना रखा जो कालान्तर में तुराना से टोहाना हो गया।
== भूना : प्राचीन समय में भूना को बाहुना नाम से जानते थे। उस समय यहां चारों ओर जंगल था और बाहुनाखाना नामक राजा का राज्य था जिसके नाम पर ही इसका नाम भूना पड़ा। वहीं कुछ इतिहासकार का मत है कि इस क्षेत्र में भूंकप ज्यादा आता था। कई बार भूंकप आने के बाद यहां थेह बना हुआ है जिसके नाम पर इसका नाम भूना पड़ा।
== जाखल : घग्घर नदी के दायें पर जाक्खू द्वारा बसाई गई बस्ती को ही जाखल मंडी के रुप में जानते हैं। सन 1892 में यहां रेल लाइन बिछाई गई और कुछ समय बाद जींद-नरवाना-टोहाना-बठिंडा रेल लाइन डाली गई।
== रतिया : फतेहाबाद से 25 किलोमीटर दूर स्थित रतिया का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। बताते हैं कि यहां जैसलमेर से सिद्धू व खोखर गोत्रीय की बस्ती बख्तावर सिंह द्वारा बसाई गई थी। इसीलिए बाबा बख्तावर सिंह की याद में अगस्त माह में मेला का आयोजन किया जाता है।
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बॉक्स : जिले के ऐतिहासिक स्थल
- अशोक की लाट
- पुराना किला
- मस्जिद
- टहलदास डेरा कमाना
- मीरशाह मजार
- शिवालय जोहड़ी मंदिर
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बॉक्स :: आंकड़ों में फतेहाबाद
- जिले का गठन : 15 जुलाई 1997
- फतेहाबाद का क्षेत्रफल : 2538 वर्ग किमी
- उपमंडल- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद
- तहसील- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद
- उपतहसील- भूना, भट्टूकला व जाखल
- विकास खंड- भट्टूकला, भूना, फतेहाबाद, जाखल, रतिया व टोहाना
- मार्केट कमेटी - भट्टूकला, भूना, फतेहाबाद, जाखल, रतिया, टोहाना व धारसूल
नगरपालिका- रतिया व भूना
पंचायतें- जिले में 245 पंचायतें हैं
कुल गाव- जिला में 262 गाव हैं
== जनसंख्या
कुल जनसंख्या- 941522
पुरूष - 494834 व महिलाएं 446688
- 1997 में फतेहाबाद की जनसंख्या- 646160
- लिंगानुपात प्रतिशत - 903 प्रति हजार
मृत्यु दर- 5.84 प्रति हजार
जन्म दर प्रतिशत 22.9 प्रति हजार
== साक्षरता दर प्रतिशत में
1961 में 17.2
1971 में 22.8
वर्तमान में साक्षरता दर- 69.1
पुरुष साक्षरता दर- (78.1 प्रतिशत)
महिला साक्षरता दर- (59.3 प्रतिशत)
स्कूल जाने वाले लड़कों का प्रतिशत (96.16)
== कृषि योग्य भूमि- (229966 हेक्टेयर भूमि)
सिंचित भूमि- (211768 हेक्टेयर भूमि)
मुख्य फसलें- गेहू, बाजरा, ज्वार, जौ, दाले, धान, कपास, चना, सरसों आदि
== उद्योग
कुल पंजीकृत उद्योग- 1094
बड़े उद्योग- 2
लघु उद्योगों की संख्या- 1077
घरेलू पंजीकृत आद्योगिक इकाईया- 15
== बिजली
बिजली घरों की संख्या- 44
प्रस्थापित उत्पादन क्षमता- 1585.1 एमवीए
बिजली चलित नलकूपों की संख्या- 18263
कुल घरेलू कनेक्शन- 1 लाख 33 हजार 7 कनेक्शन हैं।
प्रति व्यक्ति बिजली की खपत- 18 यूनिट प्रति माह
सत्र न्यायालय की स्थापना- जून 2005 में, इससे पूर्व 14 मार्च 2000 से यहा एडीजे का ही पद रहा।
जिले में पशुओं की संख्या : 4 लाख 80 हजार 564
निर्मल गावों की संख्या - 112
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भाखड़ा ने निभाई बदलाव में भूमिका
फतेहाबाद जिले की तस्वीर सही मायने में भाखड़ा नहर से बदली गई है। भाखड़ा बाध पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए अमूल्य देन है। इस बाध का निर्माण का कार्य भी रायबहादुर कंवर सैन की देखरेख में हुआ। टोहाना के रहने वाले 24 जनवरी 1900 में जन्में कंवर सैन ने पहले 1940-41 में रोहतक में आई भयंकर बाढ़ का समाधान ढूढा तभी उन्हे राय बहादुर का खिताब मिला। 1945-46 में जब भाखड़ा बाध की परियोजना बनी तब इस पूरे क्षेत्र में पानी की कमी थी और यहा रेतीले टिब्बे थे। आजाद भारत के बाद भाखड़ा डेम का निर्माण हुआ और 1953 में भाखड़ा नहर में पानी छोड़ा गया। इसी भाखड़ा नहर के सहारे धीरे-धीरे क्षेत्र की तस्वीर बदलती गई और रेतीले टिब्बों की जगह लहलाती फसलों ने किसान की तकदीर लिखी।
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बॉक्स : गोरखपुर से बदलेगा भविष्य
गाव गोरखपुर में स्थापित होने वाले परमाणु संयंत्र से जिले को एक नई पहचान मिलेगी। हरियाणा बनने के बाद यह दूसरा अवसर होगा जब जिला वासियों को उद्योग धधों के साथ आजीविका का सुनहरा अवसर पर मिलने वाला है। दशकों पहले भाखड़ा नहर इस इलाके के लोगों की जीवन रेखा बनी और अब परमाणु संयंत्र के सहारे छोटे उद्योग पनपने से दिनचर्या में बदलाव की गाथा लिखेगा। करीब 1503 एकड़ भूमि में बनने वाले परमाणु विद्युत संयंत्र में 28 सौ मेगावाट बिजली के लिए यहा चार इकाईया लगाई जाएगी। यह संयंत्र स्थापित होने से यहा आने से इस क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। पशु पालन से लेकर उद्योग धधे स्थापित होगे। एक तरह से बिजली संयंत्र के साथ एक नया शहर बनेगा।
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बाक्स : इसी भूमि के रतन है पंडित जसराज
जिले के छोटे से गाव पीलीमंदोरी से ऐसी विलक्षण प्रतिभा निकली जिसको सुन विश्व में वाह-वाही मिली। पंडित जसराज ने शास्त्रीय गायन में अलग पहचान बनाई और उन्हे पद्म विभूषण सम्मान से वर्ष 2000 में नवाजा गया। उन्हीं के परिवार से गायिका सुलक्षणा पंडित व फिल्मी कलाकार विजया पंडित के अलावा संगीतकार जोड़ी जतीन व ललित ने बॉलीवुड में अलग पहचान बनाई।
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बाक्स :: ये हैं खेल रत्न जिन पर हमें गर्व है
अर्जुन अवार्डी उदयचंद जांडली कलां, एथलेटिक्स में देश का नाम चमकाने वाले सुखवंत सिंह धीड़ माने हुए खिलाड़ी हैं। एथलीट मनोज कुमार, एथलीट संतोष कुमार जांडली, हाकी में रीना बैजलपुर, साइकिलिंग में सतीश कुमार धोलू, गीता रानी सुखलमपुर, सीमा रानी अयाल्की तथा हाकी में पूनम रानी बैजलपुर, सुनीता रानी फतेहाबाद, रजनी बोस्तीवाली, कविता धारसूल, मंगलसिंह टोहाना, योगेश नैन टोहाना तथा समैन की रामभतेरी सहित आठ महिला खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन कर रही हैं।
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बाक्स : प्रदेश का पहला राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद को
वर्ष 1967 में राष्ट्रपति डा. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद निवासी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गर्ग को दिया। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में स्काउट के सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त किया।
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बाक्स : ये हुआ विकास
- जिला बनने से पहले ही हुडा ने यहा आवासीय क्षेत्र विकसित करने की पहल की। सबसे पहले माडल टाउन और इसके बाद हुडा के सेक्टर यहा विकसित हुए।
- राष्ट्रीय कंपनियों ने भी फतेहाबाद में भी संभावना तलाशी। अल्फा व सोमा जैसी कंपनियों ने यहा आवासीय क्षेत्र खड़े किए है।
- दुकान से मॉल का सफर तय किया।
- ढाबों की जगह नई-नई फूड चयनों ने ले ली है।
- लघु सचिवालय का नया भवन, टोहाना में रेलवेब्रिज, 55 सब हेल्थ सेंटर, 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 741 किमी में 14 लाख से अधिक की लागत से सुधार कार्य।
- भट्टू रोड पर फतेहाबाद में साढ़े तीन किमी लंबा बाईपास बना।
- खेलों को बढ़ावा देने के लिए जिले में 3.54 करोड़ की लागत से आधुनिक सुविधाओं से युक्त फुटबाल एकेडमी बनाई जाएगी व भोडियाखेड़ा में जिले का खेल स्टेडियम।
- शहर में मल्टीस्टोरी पार्किंग स्थल निर्माणाधीन।
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बॉक्स : अब लहलाती हैं किन्नू और अनार की फसल
फतेहाबाद रेतीला क्षेत्र था और यहां पानी की कमी थी। लेकिन भाखड़ा नहर से हालात बदले और यहां परम्परागत खेती के साथ ही बागवानी की जाने लगी। वर्ष 1997 में जिले की 600 हेक्टेयर भूमि पर बागवानी की जाती थी। जो बढ़कर अब 21 हेक्टेयर के आंकड़े को पार कर गई है। अयाल्की, बनगांव व खाबड़ा में अनार की खेती हो रही है तो अल्लीका में आडू की फसल तैयार हो रही है। इसके अलावा किन्नू व अमरुद यहां बागवानी की प्रमुख फसले हैं।
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जरूरी बॉक्स :: भविष्य की दरकार जो फतेहाबाद को चाहिये वो टॉप फाइव जरूरत
== फतेहाबाद में उच्च शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थान।
== आधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल।
== आधुनिक बस स्टेंड व रेल सेवा।
== कृषि आधारित उद्योग।
== शहर का सौंदर्यकरण के साथ हों चकाचक सड़कें।
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बॉक्स :: रेल पर राजनीति
फतेहाबाद जिला मुख्यालय देश की आजादी के बाद भी रेलवे लाइन से नहीं जुड़ पाया है। रेल के नाम पर केवल राजनीति हुई है। जिला बनने के बाद रेलवे लाइन की माग जोर शोर से उठ रही है। किंतु यह माग धरातल पर नहीं आ पाई। फतेहाबाद के हिस्से जाखल व टोहाना में 1897 में ही रेलवे लाइन बिछा दी गई तभी से यहा से आवागमन शुरू है। इससे पहले दिल्ली बठिडा रेलवे लाइन वाया भट्टू 1873 में ही निकाल दी गई। दिल्ली, बठिडा वाया जाखल व वाया भट्टू को डबल लाइन करने व एवं बिजली आधारित माग भी आज तक सिरे नहीं चढ़ी है।