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जमीन की सरकारी खरीद में किसानों से खर्च की वसूली

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़: आमतौर पर जमीन की खरीद बिक्री में लिखाई का पैसा जमीन खरीदने वाले से लिया ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 01:02 AM (IST)
जमीन की सरकारी खरीद में किसानों से खर्च की वसूली
जमीन की सरकारी खरीद में किसानों से खर्च की वसूली

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़: आमतौर पर जमीन की खरीद बिक्री में लिखाई का पैसा जमीन खरीदने वाले से लिया जाता है, लेकिन गांव मंझावली में सरकार द्वारा खरीदी जा रही जमीन की खरीद में वसीकानवीसों का खर्चा किसानों से वसूला जा रहा है।

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ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद को जोड़ने के लिए 15 अगस्त 2014 को केंद्रीय भूतल परिवहन, जहाज रानी व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने गांव मंझावली के पास यमुना पर पुल बनाने के लिए आधारशिला रखी थी। पुल को बनाने के लिए लोकनिर्माण विभाग ने 300 करोड़ रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। इसके तहत सरकार ने जमीन खरीदने के लिए अधिकारियों की एक समिति गठित की। समिति ने जमीन खरीदने के लिए किसानों को राजी किया। अब किसानों की जमीन खरीद कर लोक निर्माण विभाग के नाम रजिस्ट्री की जा रही है। अब तक 38 रजिस्ट्री 25 करोड़ रुपये की जा चुकी हैं। गांव मंझावली निवासी अनिल, नरेश, पवन कुमार, गुरुदत्त, तीर्थराम, रोहताश, उदयवीर, राजकुमार आदि अपनी जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए उपतहसील दयालपुर में गए तो वहां पर इन लोगों को बताया कि वे रजिस्ट्री बाहर से किसी वसीकानवीस से लिखवा कर ले आएं। ये गांव मोहना उपतहसील में वसीकानवीस से जाकर मिले तो उन्होंने 2500 रुपये तो रजिस्ट्री लिखने का खर्च और 2500 रुपये नायब तहसीलदार के नाम पर मांगे। वसीकानवीस ने ये भी कहा कि कहीं से रजिस्ट्री लिखवा कर ले आओ, इतने रुपये तो देने ही पड़ेंगे। वसीकानवीस की ये बात सुनकर ग्रामीण वापस गांव चले गए। किसानों का कहना है कि उनकी ही जमीन खरीदी जा रही है और उनसे ही रुपये मांगे जा रहे हैं। ये कौन सा तरीका है।

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नियम के अनुसार तो रजिस्ट्री का खर्च हमेशा खरीदार को ही देना होता है। जमीन सरकार खरीद रही है तो इसमें न तो रजिस्ट्री लिखवाने के नाम पर किसानों को कोई खर्च देने की जरूरत है और न ही नायब तहसीलदार के नाम पर कोई खर्च देने की जरूरत है। यदि किसी किसान से कोई रुपये मांगता है तो वे किसी भी तरह खर्च नाम पर एक भी रुपये ना दें। फिर भी कोई रुपये मांगता है, तो किसान मुझ से आकर मिल सकते हैं।

-राजेंद्र ¨सह, जिला राजस्व अधिकारी, फरीदाबाद।


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