डी-एडीक्शन केंद्रों के मामले में राज्य स्तरीय कमेटी पर पुनर्विचार करें : हाईकोर्ट
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डी-एडीक्शन केंद्रों के मामले में पंजाब, ह
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने डी-एडीक्शन केंद्रों के मामले में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को निर्देश दिए हैं की वो अपनी रा'य स्तरीय कमेटी पर पुनर्विचार कर कोशिश करें की इन कमेटियों को नौकरशाहों से मुक्त किया जाये। क्योंकि नौकरशाहों के पास इस मामले में कुछ भी करने का समय ही नहीं है लिहाजा इन कमेटियों से नौकरशाहों को अलग कर या इनके साथ ही समाज विज्ञानियों, मनोविज्ञानियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाये जिनके पास इस समस्या के निपटारे के लिए बेहतर समझ और समय है
जस्टिस सूर्यकात एवं जस्टिस सुदीप आहलुवालिया की खंडपीठ ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को डी-एडीटिव केंद्रों के मामले में एक कॉर्पस फंड भी बनाये जाने की बात कही है। ताकि एक निश्चित राशि इस फंड में जमा हो और यह राशि डी-एडिक्शन केंद्रों को और बेहतर बनाये जाने पर खर्च की जा सके। हाई कोर्ट ने इसके लिए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को 19 मामले की अगली सुनवाई तक इन निर्देशों पर कार्यवाही कर इसकी स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपने के निर्देश दिए हैं ।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा की फिलहाल डी-एडीक्शन सेंटरों की देखरेख के लिए जो स्टेट लेवल कमेटिया पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में बनाई हुई हैं उसमे सभी नौकरशाह हैं देखने में आया है पुरे वर्ष कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो पाती है तो तय है की जब कमेटी की कोई बैठक ही नहीं हो रही है तो इन सेंटरों को कैसे बेहतर किया जा सकता है । ऐसे में इन डी-एडिक्शन केंद्रों का बुरा हाल है लिहाजा अब समय आ गया है की इन स्टेट लेवल कमेटियों से नौकरशाहों को बाहर कर इनकी जगह पर इस विषय के विशेषज्ञों, समाजविज्ञानियों, मनोविज्ञानियों और उन सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाये जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इससे पहले भी हाई कोर्ट ने इन स्टेट लेवल कमेटियों की कार्य प्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए ऐसे ही निर्देश दिए थे