नाटक किस्सा जानी चोर ने मचाई धूम
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सेक्टर-12 स्थित हुडा कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को संभार्य फाउंडेशन
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सेक्टर-12 स्थित हुडा कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को संभार्य फाउंडेशन की तरफ से जानी चोर नाटक का मंचन किया गया। नाटक हरियाणा कला परिषद व निफा की फरीदाबाद इकाई के सहयोग से किया जा रहा है। पांच दिवसीय थियेटर फेस्टिवल के पहले दिन ईश्वर शून्य द्वारा निर्देशित नाटक किस्सा जानी जोर का मंचन किया गया। इसका शुभारंभ भाजपा नेता अमन गोयल ने किया। उनके साथ पार्षद नरेश नंबरदार भी मौजूद थे।
पहले दिन प्रस्तुत किए गए नाटक किस्सा जानी चोर के माध्यम से उस समाज पर कटाक्ष किया गया, जहां पर सच बोलते हुए जीना असंभव सा हो गया है। नाटक में दिखाया गया कि कैसे एक चोर अपनी जान दे देता है, लेकिन सच बोलना नहीं छोड़ता। ईश्वर शून्य द्वारा निर्देशित यह नाटक विजयदान देता की कहानी फितरती चोर पर आधारित था। नाटक में एक चोर की कहानी दिखाई गई, जो अपने उसूलों का पक्का है। वो अपने गुरु को मजाक मजाक में चार वचन देता है कि वो सोने की थाली में नहीं खाएगा, कभी हाथी की सवारी नहीं करेगा, कभी किसी देश का राजा नहीं बनेगा और किसी राजकुमारी से विवाह नहीं करेगा। इस माजक पर चोर का गुरू उससे कहता कि इन सब में से कुछ भी तेरे साथ हो ही नहीं सकता। इसलिए तू मुझे यह वचन दे कि तू कभी झूठ नहीं बोलेगा। इस वचन को देने के बाद चोर के जीवन में कुछ ऐसे घटना होती है कि उसकी प्रसिद्धी चारों तऱफ फैल जाती है। उसके दिए गए सारे वचन उसके आगे आकर खड़े हो जाते हैं। देश की रानी उसे राजा बनने का मौका देती है और उसके सामने शादी का प्रस्ताव भी रखती है, लेकिन अपने गुरु को दिए गए वचन के कारण रानी को शादी के लिए मना कर देता है। रानी गुस्से में उसे मृत्यु दंड देती है। चोर अपने प्राण दे देता है, लेकिन अपने गुरु को दिया गया वचन नहीं तोड़ता।
नाटक के डायरेक्टर ईश्वर शून्य ने बताया कि आज हमारे आस-पास भी ऐसा समाज विकसित हो गया है, जहां पर सच बोलते हुए जीना असंभव सा हो गया है। इसलिए लोगों ने झूठ का रास्ता अपना शुरू कर दिया है। संभार्य फाउंडेशन के डायरेक्टर अभिषेक देशपाल ने बताया कि शुक्रवार से शुरू होने वाला यह थियेटर फेस्टिवल मंगलवार तक चलेगा और रोजाना नए नाटकों का मंचन यहां पर किया जाएगा। शनिवार को मुकेश भाटी द्वारा निर्देशित नाटक नॉट आउट का मंचन किया जाएगा। यह एक हास्य नाटक किसानों के जीवन पर आधारित है। नाटक में हंसते - हंसते एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया गया है। इस मौके पर सतीश बैसला, कर्मवीर, चिराग मोहना, बृजमोहन भारद्वाज, राजकुमार गोगा, संजय, रोहित, आदित्य, विनोद आदि मौजूद थे।