मंजिल के लिए दो साल दूर रही सोशल मीडिया से : शुभि
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : सीढ़ी दर सीढ़ी सफलता और मंजिल को पाने के लिए बहुत कुछ त्याग भी करना पड़ता है
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : सीढ़ी दर सीढ़ी सफलता और मंजिल को पाने के लिए बहुत कुछ त्याग भी करना पड़ता है। नीट(राष्ट्रीय योग्यता प्रवेश परीक्षा) में अखिल भारतीय स्तर पर 101वां स्थान हासिल कर जिले को गौरवान्वित करने वाली विद्या मंदिर स्कूल सेक्टर-15ए की छात्रा शुभि गुप्ता ने इस शानदार सफलता के लिए जम कर पढ़ाई की और अपने को एक कमरे में ही सीमित किए रखा। यहां तक की घर में मेहमान भी आए या कोई खुशी का अवसर आया, तो शुभि उसमें औपचारिकता भर के लिए शामिल हुई।
शुक्रवार को जब परिणाम घोषित हुए, तो की गई मेहनत साफ तौर पर झलक रही थी। स्कूल में प्रधानाचार्या आनंद गुप्ता ने भी इस होनहार छात्रा पर गर्व व्यक्त किया। दैनिक जागरण ने शुभि गुप्ता से उनकी सफलता के ¨बदुओं पर बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:-
इस उत्कृष्ट सफलता के लिए कितने जतन करने पड़े?
हमारे संयुक्त परिवार में कई चिकित्सक हैं और मुझे भी डाक्टर ही बनना था। मेरे पिता सर्वेश गुप्ता व मां भावना गुप्ता भी यही चाहते थे, पर कभी मेरे पर दबाव नहीं डाला। मैंने जब अपना लक्ष्य तय कर लिया, तो फिर दसवीं कक्षा से पहले ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी थी। दसवीं में मेरे 10सीजीपीए, 12वीं की परीक्षा में फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायो तीनों विषयों में मिला कर 98 फीसद अंक लेकर इस दिशा में कदम रख ही दिए थे। प्रतिदिन स्कूल में शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए विषयों के अलावा को¨चग सेंटर और उसके बाद घर पर ही स्वयं को कमरे में बंद कर 12 से 14 घंटे तक पढ़ती थी।
कमरे में बंद करने की जरूरत क्यों पड़ी?
ऐसा टीवी और सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए किया। अगर बाहर सबके साथ घुल-मिलती, तो ध्यान भंग होता। दो साल तक व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया से दूर रही। यहां तक कि जब घर में मेहमान आते, तो हाय-हैलो तक सीमित रह कर फिर से कमरे में पढ़ने बैठ जाती। इस दौरान थक जाती तो कुछ समय के लिए सैर करती या समाचार चैनल देखती।
-कहां से पढ़ने का इरादा है?
अब मैं मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से पढ़ना चाहूंगी। यह मेरा सपना है।
और कौन सी डाक्टर बनना चाहेंगी ?
मैं नेत्र रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हूं। ग्रामीण क्षेत्र में इस दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है। डाक्टर बन कर जरूरतमंदों का इलाज निश्शुल्क करूंगी।
आप अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगी?
विद्या मंदिर के अच्छे व अनुशासित वातावरण, जहां मेरे शिक्षकों ने अच्छे से आधारभूत बातों को स्पष्ट किया। प्रधानाचार्य आनंद गुप्ता, माता-पिता सर्वेश व भावना गुप्ता और अपने परिवार में मेरे चाचा-ताऊ, चाची-ताई आदि को, जिनका मुझे हर कदम पर साथ मिला।