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अनियमित जीवनशैली दिल को कर रही बीमार

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शारीरिक श्रम न करने, मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 07:58 PM (IST)
अनियमित जीवनशैली दिल को कर रही बीमार

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शारीरिक श्रम न करने, मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं। इन कारणों से ही 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोग हृदय रोगों की चपेट में आने हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि अनियमित जीवनशैली दिल को बीमार कर रही है। बदलती जीवनशैली के कारण हृदय रोग बढ़ रहे हैं तो बच्चों के हृदय में छिद्र होने के मामले भी आ रहे हैं। अधिकांश मामलों का कारण अनुवांशिक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ बुरी आदते ही हमें हृदय रोगी बनाती हैं। शारीरिक श्रम न करना, तनाव, जंक फूड का सेवन, अनियंत्रित खान-पान, प्रदूषण, शराब का सेवन और नमक का अधिक इस्तेमाल इसके मुख्य कारण है।

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अपने हृदय का खुद रखें ख्याल

हमें अपने हृदय का खुद ख्याल रखना होगा। पौष्टिक आहार लेकर। ऐसे पदार्थो के सेवन से बचना है जो हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं। बच्चों के हृदय में छिद्र के मामले आ रहे हैं। कई बार जन्मजात ही बच्चे के हृदय में छेद होता है। समय रहते ध्यान दिया जाए तो गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।

-डॉ. वीरेंद्र यादव, प्रभारी, हार्ट सेंटर, बादशाह खान अस्पताल।

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गर्भावस्था में महिलाओं को खास ध्यान देने की जरूरत

महिलाओं में दिल की कई बीमारियां जन्मजात होती है। ऐसे में मरीज को गर्भधारण करने की सलाह नहीं देते। गर्भावस्था में 25 से 30 फीसद तक हृदय पर लोड बढ़ जाता है। बच्चे की जान को खतरा बना रहता है। जिस मरीज की पहले सर्जरी हो चुकी हो या फिर गंभीर हृदय रोगों से पीड़ित है, ऐसी महिलाओं को गर्भधारण करने से बचने की सलाह दी जाती है।

-डॉ. ऋषि गुप्ता, हृदय रोग विशेषज्ञ, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल।

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हृदय की बेहतरी के लिए स्वयं दें ध्यान

आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य पीछे छूट गया है। फास्ट फूड का अधिक सेवन, व्यायाम से दूरी, शराब एवं गुटखे का सेवन हमारी आधुनिक जीवनशैली की ही देन है। इसका खामियाजा हमें कम उम्र में ही बढ़ते ह्रदय रोगों के रूप में चुकाना पड़ रहा है। व्यक्ति को 35 वर्ष की आयु के बाद नियमित अंतराल में ह्रदय से जुड़ी जांच करवाते रहना चाहिए। अगर हम प्रतिदिन अपने दिल के स्वास्थ्य के लिए एक घंटा निकालते हैं तो वो हमारे लिए बाकी 23 घंटे पूरी तत्परता से धड़कता एवं अपना कार्य करता है।

-डॉ. एलके झा, वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ, सर्वोदय अस्पताल।


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