युवाओं को जोड़ने की जरूरत
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : दैनिक जागरण के तलाश तालाबों की अभियान से समाज में तालाबों को बचाने के लि
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : दैनिक जागरण के तलाश तालाबों की अभियान से समाज में तालाबों को बचाने के लिए जागृति आ रही है। अभियान को प्रशासनिक और सरकार के स्तर पर भले ही चलाया जाए, लेकिन इसकी देखरेख के लिए युवाओं को जोड़ना जरूरी है। हर गांव में युवाओं की समितियों का गठन किया जाए। ये समिति हर वर्ष गर्मी के मौसम में तालाबों को बरसाती पानी एकत्रित करने के लिए तालाबों को साफ करके तैयार करें।
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तालाबों की सफाई और खोदाई पंचायतों को कराते रहना चाहिए। यह सिर्फ अभियान के दौरान ही नहीं करना चाहिए। तालाबों की खोदाई और सफाई समय-समय पर होती रहेगी तो पानी में कीचड़ नहीं बनेगी। कीचड़ नहीं बनेगी तो पानी सड़ेगा भी नहीं और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा। इससे लोगों का स्वास्थ्य भी पूरी तरह से ठीक रहेगा।
-पंकज भाटी, भुपानी।
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तालाबों में अब अकसर पानी नालियों का बहकर भरा रहता है। तालाबों में पालीथिन, थर्मोकाल आदि ऐसा कचरा होता है जो पानी के अंदर पड़ा रहता है। यह कचरा तालाब के तल में नीचे जमा हो जाता है। जिसकी वजह से पानी के जमीन के नीचे रिस कर काम जाता है। यही वजह है कि तालाब ओवरफ्ला हो जाते हैं। तालाबों की सफाई कराई जाने की सख्त जरूरत है।
-कल्याण ¨सह, भुपानी।
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पहले तालाबों के पास अकसर पेड़ बहुत ज्यादा में होते थे, इसलिए तालाब के किनारे ही पीने के पानी का कुआं होता था। तब तालाब से कुआं का भूजल स्तर काफी ऊंचा होता था और पेयजल ठंडा होता था। अब तालाबों का पानी गंदा होता है और भूजल स्तर भी नीचे चला गया है, इसलिए अकसर कुआं भी अब ठप हो गए हैं। तालाबों की खोदाई कराने की जरूरत है।
-कन्हैया ¨सह, भुपानी।
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अब गांवों में भी लोग गोबर को नलों के पानी के तेज बहाव से नालियों में बहा देते हैं। गोबर नालियों से बहकर तालाबों में पहुंच जाता है। यह गोबर तालाबों में सड़ता रहता है। इससे पानी में दुर्गंध पैदा हो जाती है और तालाब की गहराई भी कम होती है। पर्यावरण प्रदूषण बढ़ जाता है। तालाबों की सफाई और खोदाई पंचायत को समय-समय पर करानी चाहिए।
-ज्ञान ¨सह, भुपानी।
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जब तालाबों का पानी बरसाती होता था और गंदगी नहीं होती थी तो उस समय मछली भी पैदा होती थी। मछली गहरे पानी में ज्यादा बढ़ती है। क्योंकि गहरा पानी ठंडा होता है। तालाबों में गंदगी भरने से तालाबों की गहराई कम हो गई है, इसलिए पानी गर्म रहता है और पानी गर्म रहने मछलियां मर जाती हैं। इससे भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।
-संजय ¨सह, भुपानी।