मम्मी-पापा कैसे बन गए 'मॉम-डैड'
जासं, फरीदाबाद : जो लड़की अपने माता-पिता को मम्मी-पापा कहकर संबोधित करती थी, उसके लिए सुसाइड नोट लिखत
जासं, फरीदाबाद : जो लड़की अपने माता-पिता को मम्मी-पापा कहकर संबोधित करती थी, उसके लिए सुसाइड नोट लिखते समय वह मॉम-डैड कैसे हो गए। वेब पोर्टल की पत्रकार पूजा तिवारी के कथित सुसाइड नोट पर दोस्त खूब सवाल उठा रहे हैं। पूजा के करीबी दोस्तों का कहना है कि वह अपने माता-पिता को मम्मी-पापा कहकर संबोधित करती थी। वहीं जब वह दोस्तों को माता-पिता के बारे में बताती तो मॉम-डैड कहती थी। सुसाइड नोट में शुरुआत डियर, मॉम डैड लिखकर की गई है। ऐसे में इस संबोधन पर सवाल उठना लाजिमी है। पूजा के साथ काम करने वाले पत्रकारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह बहुत टेक्नो फ्रेंडली थी और पेपरलेस काम करती थी। लिखने के लिए वह मोबाइल फोन या लैपटॉप का प्रयोग करती थी। जो लड़की लिखने के लिए कागज का न के बराबर प्रयोग करती हो, उसका कागज पर सुसाइड नोट लिखना सवाल उठाता है।
सुसाइड नोट में कहीं भी झोलाछाप डॉक्टर धवल ¨सह का नाम नहीं है, जबकि ¨स्टग ऑपरेशन की वह मुख्य कड़ी था। दोस्तों का कहना है कि सुसाइड नोट में पूजा ने अपने मम्मी-पापा, भाई सौरभ और दोस्त आमरीन का जिक्र किया है लेकिन पुलिस इंस्पेक्टर अमित का कहीं भी जिक्र नहीं है। जबकि पिछले करीब तीन साल से फरीदाबाद में वह पूजा के सबसे अधिक करीबियों में से एक है। दोस्तों का कहना है कि सुसाइड नोट में पूजा का अपने भाई को सौरभ उर्फ मन्नू लिखना भी सवालों के घेरे में है। वह सुसाइड नोट में या तो सौरभ लिखती या उसका घर का नाम मन्नू लिखती।