15 मिनट में हो जाएगा बिज रोपण
-------------------- हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : सच्ची मेहनत, जिद और लगन से भी ऐसे आविष्कार किए जा सक
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हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : सच्ची मेहनत, जिद और लगन से भी ऐसे आविष्कार किए जा सकते हैं कि बड़े-बड़े इंजीनियर भी हैरत में पड़ जाएं। पलवल के कैलाश नगर निवासी श्यामबीर ¨सह (35 वर्ष) ने साबित किया है कि रचनात्मक सृजन किसी डिग्री या उच्च शिक्षा का मोहताज नहीं। केवल 10वीं कक्षा तक पढ़े मूलरूप से सकीपुर अलीगढ़ उत्तर प्रदेश निवासी श्यामबीर ने धान रोपाई के लिए एक मशीन बनाई है। उनके इस प्रयोग का नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की ओर से 'रेजिडेंट्स प्रोग्राम एट राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली' के लिए अंतिम 30 में चयन किया गया है। अब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद के प्रोफेसर उनके आविष्कार को परखेंगे। अगर अंतिम 10 में जगह बनती है तो उन्हें तीन महीने तक राष्ट्रपति भवन में इसमें सुधार व मार्केटिंग प्रशिक्षण मिलेगा। श्यामबीर ने बचपन में माता-पिता को खेत में धान की पौध लगाने के लिए कष्टों का सामना करते देखकर कुछ ऐसी मशीन की परिकल्पना करते थे जिससे उनके सारे काम आसान हो जाएं। एक दिन तय किया कि एक ऐसी मशीन बनाई जाए जिससे पौध आसानी से लगाई जा सके। आर्थिक तंगी के चलते वह दसवीं के आगे पढ़ाई नहीं कर पाए। किस्मत ने कुछ ऐसा पलटा खाया कि नौकरी के लिए अपना घर छोड़कर पलवल आना पड़ा। यहां एक छोटी सी कंपनी में नौकरी कर गुजारा किया। लेकिन धान के खेतों में पौध लगाने के लिए मशीन बनाने का विचार उनके मन में लगातार बना रहा। तीन साल पहले उनकी मुलाकात मथुरा निवासी वेदप्रकाश से हुई, जिनकी पलवल में वर्कशॉप है। उन्होंने वेदप्रकाश के साथ मिलकर अपने विचार को मूर्त रूप देने की ठानी। उन्होंने नौकरी छोड़कर पूरा समय इस मशीन को तैयार करने में लगाना शुरू कर दिया। वह पूरी तरह गांव में खेती से होने वाली कमाई पर निर्भर हो गए। उसी रुपये को वह मशीन बनाने के लिए लगाने लगे। अब जाकर उन्हें इसमें सफलता मिली है। रिक्शानूमा यह मशीन डीजल से चलती है। यह एक एकड़ खेत में सात सौ रुपये खर्च में 15 मिनट में पौध रोप सकती है। जबकि 10 मजदूर मिलकर इतने काम को तीन घंटे में कर पाते हैं, जिन पर करीब दो हजार रुपये खर्च होते हैं।
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