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भाव नहीं बढ़ाया तो वीटा को नहीं देंगे दूध

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़ : हरियाणा डेयरी फेडरेशन ने दूध का खरीद भाव घटा दिया है। इससे किसानों व पशु

By Edited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 06:16 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 06:16 PM (IST)
भाव नहीं बढ़ाया तो वीटा को नहीं देंगे दूध

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़ : हरियाणा डेयरी फेडरेशन ने दूध का खरीद भाव घटा दिया है। इससे किसानों व पशुपालकों में सरकार के प्रति रोष है और वे आंदोलन के मूड में हैं। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उनके दूध का भाव नहीं बढ़ाया तो वे प्लांट को दूध देना बंद कर देंगे और आंदोलन शुरू कर देंगे। इनका आरोप है कि सरकार ने दूध के भाव अमूल को बढ़ावा देने के लिए घटाए हैं। सरकार को गरीब लोगों की ¨चता नहीं है। इसलिए ऐसे फैसले ले रही है, जिससे गरीब, मजदूर और किसान बर्बाद हो। पशुपालकों का ये भी कहना है कि दूध का ज्यादा उत्पादन कांग्रेस के समय में भी हुआ था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कभी भी किसान के दूध के भाव नहीं घटाए।

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हरियाणा डेयरी फेडरेशन ने दूध के भाव में तीन रुपये कम किए हैं। इससे पशु पालक पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे। इस मामले में किसान अपनी बैठक कर रहे हैं। यदि सरकार ने जल्दी ही दूध के भाव नहीं बढ़ाए तो किसान आंदोलन शुरू कर देंगे और वीटा प्लांट को दूध देना बंद कर दिया जाएगा। इस फैसले के लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी।

- सुरेंद्र ¨सह, चेयरमैन, निदेशक मंडल, वीटा प्लांट, बल्लभगढ़

सरकार को इस बात पर गौरव महसूस करना चाहिए कि प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ गया है। किसानों को दूध का बढ़ावा देने के लिए बोनस अच्छा दिया जाना चाहिए। सरकार को उपभोक्ता के दूध का भाव कम करना चाहिए। जिससे वीटा का दूध अधिक बिके। सरकार की दूध के भाव घटाने योजना अमूल को बढ़ावा देने की है।

-चरण ¨सह, दुग्ध उत्पादक

जो किसान दो लीटर सुबह और दो लीटर शाम को दूध डेयरी को देता है, उसकी भैंस के दूध में फैट भी कम है तो उसके दूध का भाव तो 20 से 25 रुपये प्रति लीटर मिलेगा। ऐसे किसानों तो अपनी भैंस को बेचने के लिए मजबूर होंगे। अभी भी कुछ लोग अपने दूध को बेच कर घर-परिवार का पालन-पोषण करते हैँ। सरकार को ऐसे किसानों ध्यान करना चाहिए।

- गजराज ¨सह, दुग्ध उत्पादक

सरकार खुद भी चाहती है कि दूध का उत्पादन बढ़े। इसलिए सरकार डेयरी फार्म को बढ़ावा देने के लिए ऋण दे रही है। गाय संवर्धन योजना चला रही है। सरकार किसानों को ही परेशान क्यों करती है। गेहूं की फसल बर्बाद हुई तो मुआवजा पूरा नहीं मिला। धान की फसल अच्छी हुई तो भाव नहीं मिला। अब दूध के भाव घटा दिए।

- बीरभान डागर, दुग्ध उत्पादक

पानी की बोतल भी बाजार में 20 रुपये में मिलती है। इतना ही गाय के दूध का भाव पड़ता है। पशुओं का चारा महंगाई के हिसाब से आसमान को छू रहे हैं। सरसों की खल 50 किलो का भाव 1300 रुपये, बिनौला खल 50 किलो का भाव 1300 रुपये, चूरी का कट्टा 1000 रुपये, बिनौला साबूत का कट्टा 1500 रुपये है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है किसान की दूध बेचने की स्थिति क्या होती है।

- रतन ¨सह, दुग्ध उत्पादक

किसानों के दूध के भाव को लेकर 10 फरवरी को पंचकूला में हरियाणा डेयरी फेडरेशन के अध्यक्ष और अधिकारियों की बैठक होगी। इस बैठक में दूध के घटाए हुए रेटों पर खासतौर से चर्चा की जाएगी। बैठक तक किसान संयम बनाकर रखें।

-आरपी शर्मा, महाप्रबंधक, वीटा दूध प्लांट बल्लभगढ़।


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