छोटे-बड़े मिलकर रखते हैं रोजा
रमजान के इस मुबारक महीने में परिवार में छोटे-बड़े मिलकर रोजा रखते हैं। सहरी करते हैं और फिर इफ्तारी क
रमजान के इस मुबारक महीने में परिवार में छोटे-बड़े मिलकर रोजा रखते हैं। सहरी करते हैं और फिर इफ्तारी करते हैं। इससे मुहब्बत बढ़ती है। मस्जिद, मदरसों में जाकर इबादत की जाती है। इस महीने में रोजे रख कर हम अल्लाह की इबादत करते हैं। जकात व खैराज यानी दान का बड़ा महत्व है। हम आपसी भाईचारा कायम रखने से मकसद से रोजा इफ्तार दावत का आयोजन करते हैं तो सगे-संबंधियों के साथ दोस्त तथा पड़ोसी भी शरीक होते हैं। रोजा इफ्तार दावत से मुहब्बत बढ़ती है। इफ्तार के लिए घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं, मिलकर इफ्तार करते हैं तो इससे मुहब्बत बढ़ती है। इस महीने में हमें इबादत करने का मौका मिलता है। रोजा रखना इबादत है। इस महीने में मस्जिदों में खास इबादत की जाती है। हम बुराइयों से बचते हैं, अच्छाई को अपनाते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि हर एक रोजे की अपनी अहमियत है। अल्लाह के रसूल का फरमान है कि हर इंसान रोजा रखे। आओ हम सब रमजान की फजीलत को समझते हुए ईमान को मजबूत करें।
-खुर्शीद आलम, मदरसा इस्लामिया खादिमुल उलूम, एसी नगर।