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..ताकि गांव से न हो शहर की ओर पलायन

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद महाभारतकालीन ऐतिहासिक गांव तिलपत में अभी बिजली,पानी,सफाई जैसी मूलभूत सुविध

By Edited By: Published: Mon, 25 May 2015 08:55 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2015 08:55 PM (IST)
..ताकि गांव से न हो शहर की ओर पलायन

बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद

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महाभारतकालीन ऐतिहासिक गांव तिलपत में अभी बिजली,पानी,सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से लेकर शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार,परिवहन सुविधाओं के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। यह गांव स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने ठीक छह माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।

दैनिक जागरण ने 18 से 25 मई तक एक अभियान के रूप में न केवल गांव को गोद लेने से अब तक हुए विकास कार्यों की समीक्षा की बल्कि स्थानीय लोगों से लेकर सांसद कृष्णपाल गुर्जर सहित आसपास के प्रमुख गणमान्य लोगों की प्रतिक्रिया भी जानी। गोद लेने से अब तक हुए विकास कार्यों पर नजर डालें तो यहां के लिए सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनी, इनका शुभारंभ नहीं हो पाया। हालांकि 24 मई को सांसद के पुत्र देवेंद्र चौधरी ने गांव में कुछ विकास योजनाओं को शुरू करवाया मगर यदि एक गांव के विकास में इस तरह कछुआ चाल चली गई तो अन्य गांव जो आदर्श बनने की बाट जोह रहे हैं, वे तो अगले पांच साल में भी आदर्श रूप नहीं ले पाएंगे।

हां, इस पूरे अभियान के दौरान दैनिक जागरण की टीम ने जो सबसे ज्यादा कमी महसूस की वह यह रही कि गांव के लोग इस योजना में समस्या तो बता रहे हैं मगर अभी तक वे आगे आकर योजना का लाभ लेने की पहल नहीं कर रहे हैं। कोई सरकारी योजना बिना लाभ पाने वाले लोगों के सहयोग के कामयाब नहीं हो सकती। सांसद द्वारा गांव गोद लिए जाने के बाद यदि गांव के लोग यदि व्यक्तिगत या समूह-समितियों के माध्यम से सांसद और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय कर कुछ योजनाओं को क्रियांवित कराने में सफल हो जाते तो निश्चित रूप से पिछले छह माह में उनके गांव की तस्वीर बदल गई होती।

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-आदर्श गांव बनाने की जरूरत

किसी भी गांव को आदर्श बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है। इसकी विवेचना भी हमें अवश्य करनी चाहिए। यदि हम दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बड़े शहर फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा जैसे शहरों की बात करें तो गांव के लोग शहर में गांव से भी बदतर हालात में रहने को तैयार हो जाते हैं। इन बड़े शहरों में आबादी का दबाव लगातार बढ़ रहा है। शहरी जन-जीवन भी अस्तव्यस्त हो रहा है। असल में वे लोग गांव में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में गांव से पयालन करते हैं। गांव में बिजली और बेहतर परिवहन सुविधा नहीं होने का सीधा असर शिक्षा पर पड़ता है। गांव के बच्चे शिक्षा में शहरी बच्चों से पीछे रह जाते हैं। डाक्टर व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते भी ग्रामीण गांव छोड़ने को मजबूर होते हैं। गांव के नजदीक बेहतर रोजगार के साधन नहीं होने से भी परिवार के परिवार गांव से पलायन कर जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को अपने क्षेत्र में पहले एक साल में एक गांव गोद लेकर उसमें शहरों की तर्ज पर सुविधाएं जुटाने का जिम्मा दिया है। उनकी इच्छा तो पांच साल के कार्यकाल में एक लोकसभा क्षेत्र में कई गांव आदर्श बनाने की है मगर इसके लिए विकास की गति तीव्र करनी होगी।

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तिलपत की प्रमुख समस्याएं :

-बिजली : गांव के ऊपर से हाईटेंशन तार निकल रही है। गांव में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की जानी चाहिए

- सड़कें: गांव की सड़कों की दशा सुधारी जानी चाहिए। यहां सड़कों के गढ्ढे भरे जाने चाहिए तथा कुछ कच्चे रास्तों पर पक्की सड़क बनाई जाए। कुछ सड़कों को चौड़ा भी किया जा सकता है।

-पानी: गांव में ट्यूबवेलों से पेयजल आपूर्ति होती है। लोगों को शुद्ध पानी देने के लिए यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जा सकते हैं।

-बरसाती पानी निकासी : इस गांव में जलभराव की बड़ी समस्या है। इसके लिए गांव में यदि शहरों की तर्ज पर ड्रेनेज लाइन डाल दी जाए तो लोगों को काफी राहत मिलेगी

-साफ-सफाई: गांव में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि यहां कच्ची नालियां भी गांव की सूरत बिगाड़ रही हैं।

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-गांव से लगती कालोनियों का विकास जरूरी

गांव का आदर्श रूप तभी सामने आएगा जब इस गांव से लगती नई आवासीय कालोनियों में भी जरूरी विकास कार्य कराने होंगे। इन कालोनियों की आबादी और मतदाता गांव की मूल आबादी से ज्यादा है।

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जागरण विचार :

गांव को जल्द आदर्श रूप देने के लिए गांव का युवा वर्ग अपने गांव के कुछ समाजसेवियों के साथ मिलकर एक ऐसा समूह बनाएं जो गांव के विकास की योजनाओं को सांसद व जिला प्रशासन के अधिकारियों से समन्वय कर शीघ्र क्रियांवित करवा सके। गांव को आदर्श जनभागीदारी के बिना महज सरकारी योजना के बल पर नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा सांसद को यहां के विकास की योजनाओं के क्रियांवयन के लिए ज्यादा तत्परता दिखानी चाहिए क्योंकि इस गांव के विकास का उदाहरण देखकर ही अन्य गांव आदर्श रूप की ओर अग्रसरित होंगे।


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