शहर के साथ शुरू हुआ था रंगमंच का सिलसिला
अनिल बेताब, फरीदाबाद : फरीदाबाद में रंगमंच की जमीन को और उपजाऊ बनाने के लिए आज भले ही रंगकर्मिय
अनिल बेताब, फरीदाबाद :
फरीदाबाद में रंगमंच की जमीन को और उपजाऊ बनाने के लिए आज भले ही रंगकर्मियों को मशक्कत करनी पड़ रही है, लेकिन बीज तो आजादी के बाद बन्नू, कोहाट, हजारा (वर्तमान पाकिस्तान) से यहां आए लोगों ने रख दिए थे। इन लोगों ने फरीदाबाद को बसाने में जहां अहम भूमिका अदा की, वहीं रंगमंच की गतिविधियों को भी अंजाम दिया। इनमें सालार सुख राम, लक्खी चाचा, श्री चंद खत्री, जगत प्रकाश संग, ज्ञान चाचा तथा मंगत राम लांबा का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
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पाकिस्तान से आए लागों को आजादी के बाद एनआइटी फरीदाबाद में बसाया गया था। उस समय मनोरंजन के साधन भी कम थे। एनआइटी में रहने वाले कुछ लोगों ने पहली बार 1952 में नाटक मंचन की शुरुआत की। इसके साथ-साथ रामलीलाओं का भी मंचन किया गया। इसी वर्ष युवक ड्रेमैटिक क्लब बनाया गया। कुछ कलाकारों ने मिलकर एनएच पाच में लाला झांगी राम के लकड़ी की टाल के पास बिलवा मंगल नामक नाटक का मंचन किया। बिलवा मंगल सूरदास की कहानी पर आधारित नाटक था। इस क्लब के पहले निदेशक लक्ष्मण दास बंसल थे। इस नाटक में मंगत राम लांबा तथा ज्योति संग ने अभिनय किया। क्लब की ओर से श्रवण कुमार, सत्यवादी राजा हरीश चंद, सोने की जंजीरें तथा वीर हकीकत राय नाटक से जनचेतना भी पैदा की गई।
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फरीदाबाद में जब रंगमंच की शुरुआत की गई तो उस समय युवक ड्रेमैटिकक्लब चंदा एकत्र कर नाटकों का मंचन करता था। इस क्लब से मेरे पिता स्व. जगत प्रकाश संग भी जुड़े थे। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा, उनके निर्देशन में कई नाटकों में अभिनय भी किया। पिता जी भी बहुत कुछ बताया करते थे, बहुत सी बातें आज भी याद हैं। लोग के बैठने के लिए जो कुर्सियां लगाई जाती थी। उनका किराया आठ आने था। उस दौर में लोग नाटक देखने के लिए आते थे।
-ज्योति संग, रंगकर्मी।
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शहर में रंगमंच को नए सिरे से मजबूत करने के लिए प्रयास किए हैं। कुछ साथियों के सहयोग से रंग, तरंग महोत्सव शुरू किया गया है। मैं सभी कला प्रेमियों से अपील करता हूं कि रंगमंच के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए आगे आएं। सरकार तथा जनप्रतिनिधि ऐसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करें। नाटकों के माध्यम से हम संस्कृति के प्रचार के साथ सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी लोगों को जागरूक करते हैं।
-ब्रज भारद्वाज, अध्यक्ष, ब्रज नाट्य मंडली।
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आज रंगमंच के बहुत से ऐसे कलाकार हैं, जो बड़े पर्दे पर अपनी कला का खूबसूरत प्रदर्शन कर रहे हैं। मनोरंजन के साधन बढ़ गए हैं, लेकिन रंगमंच के माध्यम से जिस तरह सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को संदेश देकर जागरूक किया जा सकता है, वह अन्य माध्यम से आसान नहीं है। सरकार रंगमंच को बढ़ावा देने के लिए विशेष सुविधाएं दें। जिला स्तर पर मंचन के लिए कलाकारों को आसानी से निशुल्क जगह मिलनी चाहिए।
-नौशाद मलिक, रंगमंचीय कलाकार।