पानी की बचत की फिक्र
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : जतिंद्र सहगल वह शख्स हैं, जिन्होंने शहर में उस समय रेनवाटर हार्वेस्टिंग
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : जतिंद्र सहगल वह शख्स हैं, जिन्होंने शहर में उस समय रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की बात की, जब कोई इस बारे में जानता तक नहीं था। इतना ही नहीं, उन्होने वर्ष 1988 में ही सेक्टर-15 स्थित अपनी कोठी पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा लिया था।
पेशे से वास्तुकार होने की वजह से सहगल जानते थे कि भूजल स्तर लगातार गिरने के कारण आने वाले दिनों में पानी एक बड़ी समस्या बनने वाला है। यही वजह है कि उन्होने न केवल अपने घर पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया, बल्कि शहर का जो भी व्यक्ति या संस्थान उनके पास भवन का नक्शा बनाने आता है, उन्हें वह पहले ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की सलाह देते हैं, बल्कि उन्हें लगातार गिर रहे भूजल स्तर के बारे में जागरूक करते हैं और लोगों को यह भी बताते हैं कि यह सिस्टम लगाने के क्या-क्या फायदे हैं।
सहगल ने अपने घर के 2050 वर्ग फुट वाली छत पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया था तो उस समय उनका लगभग 10 हजार रुपये से कम खर्च हुआ था। उन्होने लगभग 16 फुट गहरा गड्ढा बनाया, जिसे चार इंच के पाइप से जोड़ दिया। गड्ढे में तली पर बजरी बिछा दी, ताकि बारिश का पानी छन कर नीचे जमीन तक पहुंचे।
वह बताते हैं कि पानी का दो से तीन बार दोबारा इस्तेमाल करके भी लोग पानी बचा सकते हैं। जैसे कि, एक बार इस्तेमाल किए जा चुके पानी को फिर से टायलेट या बगीचे में इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं, शौचालय में भी छोटी टंकियों का इस्तेमाल कर पानी बचाया जा सकता है। रिसाइकिल करके 40 फीसद से अधिक पानी बचाया जा सकता है।
सहगल ने अपने घर में ऐसी व्यवस्था की है कि ऊपर की मंजिल में बने बाथरूम से निकलने वाली पानी शौचालय के फ्लश में पहुंच जाता है और उस पानी से शौचालय साफ होता है। वह कहते हैं कि ऐसा करने में बहुत ज्यादा पैसा भी खर्च नहीं होता, बस थोड़ी सी समझदारी और थोड़े से पैसे से ही यह व्यवस्था की जा सकती है। इसे डुअल पाइप सिस्टम कहते हैं।