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उद्योग जोनर - न्यूनतम वेतन की नई दरें लागू होने से पहले ही उद्यमी हुए चिंतित

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद राज्य में एक नवंबर से न्यूनतम वेतन की नई दरें लागू होनी हैं। इससे उद्यो

By Edited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 07:34 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 07:34 PM (IST)
उद्योग जोनर - न्यूनतम वेतन की नई दरें लागू होने से पहले ही उद्यमी हुए चिंतित

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद

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राज्य में एक नवंबर से न्यूनतम वेतन की नई दरें लागू होनी हैं। इससे उद्योगों के श्रम लागत में 40 फीसद तक का इजाफा होगा। यही वजह है कि उद्योगपति चिंतित हैं और इस आर्थिक बोझ को कम करने के लिए गुणा-भाग में लगे हैं।

पिछली सरकार ने एक नवंबर से न्यूनतम वेतन में वृद्धि की घोषणा की थी, लेकिन इसके साथ ही आपत्तियां भी मांगी थी। उद्योगपतियों ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा भी दी है, लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।

बावजूद इसके उद्योगपतियों का मानना है कि सूबे में सरकार के बदलने के बावजूद भी न्यूनतम वेतन में उन्हें कोई राहत नहीं मिलने वाली, यही वजह है कि उद्योगपति इस कोशिश में लगे हैं कि दूसरे खर्च कम कर न्यूनतम वेतन की नई दरें लागू कर दी जाएं।

इस खर्च को कम करने के लिए उद्योगपतियों ने अपने कारखानों में बकायदा कुछ प्राइवेट कंपनियों से आडिट करवाया है, ताकि वे फालतू खर्च पर अंकुश लगा सकें। आटो कंपोनेंट बनाने वाले उद्योगपति रमेश अरोड़ा बताते हैं कि उन्होंने अपने कारखाने में आडिट कराया और पाया कि यदि वह कुछ पुरानी मशीनों को बदल कर नई मशीनें लगवाते हैं तो उनकी लागत कम हो जाएगी। इसमें लेबर-कास्ट तो कम होगी ही, साथ ही बिजली पर खर्च कम होगा और उत्पादन भी बढ़ेगा। वह बताते हैं कि हालांकि उन्होंने इस तरह के आडिट कराने का निर्णय पहले भी लिया था, लेकिन वह टालते जा रहे थे, लेकिन अब जब न्यूनतम वेतन लागू करना है तो फिर तुरत-फुरत में यह आडिट करवाया और माह के अंत तक मशीन खरीदने का भी प्लान है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि औद्योगिक संगठन फरीदाबाद स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और आइएम एसएमई आफ इंडिया भी उद्योगपतियों से कहता रहा है कि फरीदाबाद के उद्योगपतियों को आटोमेशन का रास्ता अपनाना चाहिए। इसके लिए आईएम एसएमई की ओर से उद्योगपतियों को प्रशिक्षित किया जाता है और सब्सिडी तक दी जाती है।

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न्यूनतम वेतन में लगभग दो हजार रुपये का इजाफा किया गया है। पहले 5550 रुपये प्रति माह था, जिसे अब 7400 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा अन्य भविष्य निधि (पीएफ), कर्मचारी भविष्य निधि (इएसआइ) सहित कई अन्य खर्च बढ़ेंगे। इससे हर उद्योग का खर्च 40 फीसद बढ़ जाएगा। हमने सरकार को अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। अभी तक अधिसूचना जारी नहीं हुई है। देखना यह है कि नई सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।

नरेश वर्मा : प्रधान, मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन, फरीदाबाद


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