'मानसी गंगा सीअर दे, गोवर्धन की परिक्रमा दे'
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शहरी या फिर ग्रामीण हर जगह पर गोवर्धन की पूजा धूमधाम के साथ की गई। पू
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद :
शहरी या फिर ग्रामीण हर जगह पर गोवर्धन की पूजा धूमधाम के साथ की गई। पूजा के समय श्रद्धालु भजन गाकर गोवर्धन का भोग लगा रहे थे।
गोवर्धन की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु बोल रहे थे कि 'मानसी गंगा सीअर दे, गोवर्धन की परिक्रमा दे।' गोवर्धन की पूजा पशुधन से संबंधित है। गोवर्धन पर्वत पर अकसर ग्वाले पशुओं को चराते थे। एक बार इंद्र का अभिमान खत्म करने के लिए भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को एक अंगूली पर उठाया था। इस पर्वत के नीचे गोकुल के पशुओं और लोगों को इंद्र के कहर से बचाया था। तब से गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा के दौरान मानसी गंगा पड़ती है। यहां पर लोग स्नान करके अपनी थकान उतारते हैं। इसलिए गोवर्धन की पूजा में मानसी गंगा का भी गुणगान किया जाता है। इसका अर्थ गोवर्धन की परिक्रमा करके मानसी गंगा में स्नान करके शरीर को ठंडक पहुंचाएं। गोवर्धन पूजा पशुओं से संबंधित है, इसलिए गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। इसकी नाभी में कुल्हिया में दूध भर कर रखा जाता है। कुल्हिया के एक तरफ ग्वाला और दूसरी तरफ ग्वालिन बनाई जाती हैं। गोवर्धन की पूजा के लिए एक तरफ ग्वाला का प्रतीक लाठी रखी जाती है। जिससे पशुओं को घेरने का काम किया जाता है और दूसरी तरफ रई (दूध बिलोनी ) रखी जाती है। गोवर्धन की परिक्रमा के दौरान धान की खील बिखेरी जाती हैं और पूजा में पकवान रखे जाते हैं। पूजा में रखे हुए पकवान को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। बताते हैं कि इस पकवान को खाने से आधे सिर (आधा सीसी) दर्द की बीमारी नहीं होती है। गोवर्धन की पूजा के लिए खासतौर से पकवान बनाए जाते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्र में तो दीपावली से ज्यादा पूजा वाला माना जाता है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में पशु पालना मुख्य व्यवसाय है। पशु खेती से जुड़े हुए हैं।