दीपावली : कहीं दिखा अपील का असर, कहीं उड़ी धज्जियां
संवाद सहयोगी, पलवल : प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं, स्कूली बच्चों द्वारा पटाखे न जलाकर पर्यावरण को बच
संवाद सहयोगी, पलवल :
प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं, स्कूली बच्चों द्वारा पटाखे न जलाकर पर्यावरण को बचाने के लिए अपील का कई क्षेत्रों में असर दिखा, वहीं कुछ स्थानों पर आतिशबाजी के शौकीनों ने नियमों को ताक पर रख कर खूब पटाखे छोड़े।
गलियों में हुई पटाखों की बिक्री
जिला प्रशासन ने दीपावली पर पटाखे बेचने के लिए नेताजी सुभाष चंद बोस स्टेडियम में स्थान निर्धारित किया था, जहां सुबह दस बजे से सायं सात बजे तक पटाखे बेचने का समय तय था, हालांकि तय समय पर स्टेडियम में पटाखों की बिक्री बंद हो गई, लेकिन पटाखा विक्रेता इसके बाद शहर की गलियों और बाजारों का रुख कर गए, जहां देर रात तक पटाखों की जमकर बिक्री हुई।
प्रशासन ने लागू किए थे नियम
जिला मजिस्ट्रेट की ओर से कई दिन पूर्व जारी आदेश के अनुसार दीवाली वाले दिन रात में दस बजे के बाद पटाखे न फोड़ने के भी आदेश भी जारी किए थे, जिसमें राकेट, तीव्र चालित सुरी, घातक बम बेचने पर भी रोक थी। सिर्फ वह ही पटाखे चलाए जा सकते थे, जिसका शोर या ध्वनि का स्तर 145 डीबीसी श्रेणी 125 डीबीएआई हो, यानी इससे ज्यादा आवाज नहीं होनी चाहिए थी, पर कई स्थानों पर ध्वनि का स्तर 150 पार हुआ।
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दो करोड़ के पटाखे छूटे
रविवार की रात करीब दो करोड़ रुपये से ज्यादा के पटाखे छोड़े गए। पलवल, होडल, हसनपुर व हथीन में सौ से ज्यादा स्टाल लगे। इसके अलावा अवैध रूप से भी पटाखे बिक रहे थे। पिछले वर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपये के पटाखे छोड़े गए थे। शुक्रवार को गोवर्द्घन पर्व पर यह राशि और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
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कहीं हुआ अपील का असर
वैसे राहत की बात यह भी रही कि पटाखे न छोड़ने की अपील का असर कई स्थानों पर देखने को भी मिला। न्यू कालोनी, प्रकाश विहार, कृष्णा कालोनी आदि विभिन्न स्थानों पर पटाखे कम छूटे।
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'पुलिस के पास कोई ध्वनि मापने वाला यंत्र नहीं है। ऐसे में वह किसी के खिलाफ कार्रवाई करें भी तो कैसे। शहर व अन्य लिंक मार्गो पर पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई थी, जिससे देर रात्रि में पटाखा छोड़ने वालों पर कहीं हद तक काबू रखा गया। इस पर पूरी तरह से रोक तो जागरूकता से ही लग पाएगी।'
-उदयराज, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय