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जीत के साथ दलाल की ऊंची उड़ान की तैयारी

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : पलवल से पांचवी बार जीत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री करण

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 01:05 AM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 01:05 AM (IST)
जीत के साथ दलाल की ऊंची उड़ान की तैयारी

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद :

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पलवल से पांचवी बार जीत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल के सामने अब राजनीति में ऊंची उड़ान भरने के विकल्प खोल दिए हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो दलाल लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे, क्योंकि अब कांग्रेस पार्टी में उनके सामने किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं है। उनके सामने जो रुकावटें थी वे समय रहते हुए खुद-ब-खुद खत्म हो चुकी हैं।

फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट के सबसे बड़े दावेदार पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना अब पार्टी छोड़ कर इंडियन नेशनल लोकदल में जा चुके हैं। वे दलाल के सामने सबसे बड़ी बाधा थे। उनके जाने के बाद अब कांग्रेस पार्टी में लोकसभा की टिकट का कोई भी बड़ा गुर्जर नेता दावेदार नहीं है। पृथला से कांग्रेस प्रत्याशी रघुबीर सिंह तेवतिया यदि चुनाव जीत जाते तो वे भी दलाल के सामने लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर दावा ठोक सकते थे। तेवतिया भी चुनाव हार चुके हैं। उनके सामाने यह रुकावट भी खत्म हो गई है। पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद रामचंद्र बैंदा भी एक रुकावट थे। क्योंकि वे फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार चुनाव जीते। वे जाटों की वोट लेकर चुनाव जीतते थे। अब भाजपा ने उनकी जगह पर कृष्णपाल गुर्जर को टिकट देकर फरीदाबाद से सांसद बना लिया है। इसलिए अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा से फिर गुर्जर उम्मीदवार होंगे और इनेलो से पूर्व सांसद भड़ाना प्रत्याशी होंगे। ऐसे में दलाल जाटों की मत संख्या के आधार पर भी लोकसभा से अपना दाव करेंगे। वैसे भी फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में जाट मतदाता संख्या में सबसे ज्यादा हैं और अब संसदीय क्षेत्र में दलाल से बड़ा किसी जाट नेता का कद नहीं है। उनका जाटों के साथ-साथ दूसरे वर्ग के लोगों में खासतौर पर वैश्य, पंजाबी, राजपूत, ब्राह्मणों में भी अच्छे रसूक हैं। वे व्यवाहारिक हैं और मृदुभाषी हैं। वैसे भी दलाल हमेशा प्रदेश स्तरीय मुद्दों की राजनीति करते हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त दलाल विधानसभा में सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र या पलवल जिले की मुद्दों पर चर्चा नहीं करते हैं, वे प्रदेश स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं को उठाते हैं। इसलिए अब वे लोकसभा चुनाव लड़कर संसद में जाना चाहेंगे।

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हारने के बाद दोबारा राजनीति पटरी पर चढ़ी

पलवल से एक बार चुनाव हारने के बाद यूं तो किसी नेता की राजनीतिक गाड़ी दोबारा पटरी पर नहीं चढ़ी मगर करण सिंह दलाल एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो 2009 में हारने के बाद भी 2014 में पूरी तरह राजनीतिक रूप से सशक्त हुए हैं। उनकी जीत से यह भी माना जा रहा है कि वे पूरे संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूती देने का भी काम करेंगे।


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