दिमागी लकवा से पीड़ित बच्चे का किया जा रहा इलाज
साक्षी छाबड़ा, पलवल : जिला सामान्य अस्पताल में इन दिनों एक असामान्य बच्चे का इलाज चल रहा है। होडल निवासी पांच वर्षीय रवि सेरीबरलपाल्सी से पीडि़त है। सामान्य अस्पताल में चल रहे प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र में इस बच्चे का इलाज किया जा रहा है। बच्चे को विभिन्न प्रकार की थेरेपी के माध्यम से ठीक करने की कोशिश की जा रही है। इसमें प्ले थेरेपी का मुख्य रोल है।
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क्या है सेरीबरलपाल्सी
यह एक तरह का दिमागी लकवा है, जो नवजात शिशुओं से तीन वर्ष की आयु में शुरू हो जाता है। कुछ बच्चों में यह जन्म से ही पाया जाता है।
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क्या है कारण
- किसी तरह के इनफेक्शन से।
- गर्भावस्था के समय दिमागी तनाव द्वारा।
- गर्भावस्था में ज्यादा शराब के सेवन से।
- जच्चा का हीमोग्लोबिन कम होने से।
- जच्चा को मधुमेह होने के कारण।
- किसी तरह के दिमागी झटके के कारण।
- गर्भ धारण के बाद हुई किसी दुर्घटना से।
- जरूरत से ज्यादा दवाइयों के सेवन से।
- अत्याधिक बार अल्ट्रासाउंड करवाने से।
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क्या है लक्षण
- पैदा होते ही बच्चे का न रोना या अत्याधिक रोना।
- पैदा होने के बाद बच्चे का रंग नीला पड़ जाना।
- बच्चे को ज्यादा पीलिया होना।
- बच्चे को दिमागी बुखार चढ़ना।
- बच्चे को दौरे पड़ना।
- बच्चे के मुंह से लार हर समय बहते रहना।
- गर्दन न संभाल पाना।
-अपनी बात दूसरों के सामने न रख पाना।
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क्या है इलाज
- बच्चे की सबसे पहले फिजियोथेरेपी की जाती है।
- उसके बर्ताव में बदलाव आए, उसके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
- खेल के माध्यम से बच्चे को पढ़ाया और समझाया जाता है।
- ग्रास थेरेपी के माध्यम से बच्चे को महसूस करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र में प्रतिदिन ऐसे बच्चों का इलाज किया जाता है। जरूरत अनुसार उन्हें इलाज दिया जाता है। हमारा प्रयास रहता है कि हर बीमारी का जल्द से जल्द पता लगा लिया जाए ताकि बच्चे को जल्दी इलाज दिया जा सके।
-डा.आशिमा कालड़ा, जिला सामान्य अस्पताल पलवल।