निर्णय को नफा-नुकसान के पैमाने पर तोल रही '52 पाल'
सुशील भाटिया, पलवल : नारनौंद (हिसार) में सतरोल खाप द्वारा 650 वर्ष पुरानी परंपरा को बदल कर गांव, गोत्र व पड़ोसी गांव को छोड़ कर कहीं भी वैवाहिक रिश्ते करने के बारे लिए गए निर्णय के बाद यहां की एतिहासिक '52 पाल' की संयुक्त खाप में भी हलचल शुरू हो गई है।
सतरोल खाप के निर्णय और इसके बाद पेटवाड़ तपा द्वारा महापंचायत के फैसले को नकारने के बाद की स्थिति पर '52 पाल' के अध्यक्ष चौधरी युद्धवीर जेलदार नजर रख रहे हैं और जातीय आधार पर नफा-नुकसान को परख रहे हैं।
'52 पाल' के तहत दिल्ली से आगरा तक से भी आगे चार वटी तक और भरतपुर से अलीगढ़ तक के क्षेत्र में बसे दर्जनों गांव आते हैं, जिसमें तेवतिया पाल, रावत पाल, डागर पाल, सौरोत, महलावत, चौहान पाल, छिरकलौत, लोहकना, बैनीवाल, सहरावत पाल सहित दर्जनों अन्य पाल शामिल हैं। इन सभी संयुक्त पालों से बावन पाल बनी हैं, जिसके अध्यक्ष चौधरी युद्धवीर जेलदार हैं। पलवल जिले के होडल उपमंडल के गांव सौंदहद के निवासी युद्धवीर जेलदार के दादा-परदादा और अन्य पूर्वज ही ब्रिटिश शासनकाल से लगातार 52 पाल के अध्यक्ष चले आ रहे हैं। युद्धवीर के पुत्र अरुण जेलदार गांव के सरपंच हैं। 52 पाल ही सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ, समाज से जुड़े बड़े मुद्दों पर जो निर्णय लेती है, वह सभी पालों में मान्य होता है।
दैनिक जागरण से बातचीत में युद्धवीर जेलदार व अरुण जेलदार ने बताया कि सतरोल खाप ने जो एतिहासिक निर्णय लिया है और गांव, गोत्र व पड़ोसी गांव को छोड़ कर कहीं भी विवाह करने की छूट दे दी है, उससे निश्चित रूप से जातीय बंधन नहीं रहेगा व रिश्ते-नाते खुल जाएंगे, पर साथ ही पेटवाड़ तपा ने महापंचायत के निर्णय को नकार कर अपना विरोध भी जता दिया है। इसलिए फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
युद्धवीर जेलदार के अनुसार समय के साथ ही मान्यताओं में बदलाव की जरूरत भी महसूस होती रहती है, सतरोल खाप के इस निर्णय से दूसरी बड़ी खापों पर भी असर पड़ेगा। फिलहाल हमारी '52 पाल' में आने वाली सभी पालों के 'पाल पंच' इस फैसले की हर दृष्टिकोण से समीक्षा कर रहे हैं और समाज व सामाजिक सरोकार के तहत जो उचित होगा, उसी अनुसार हमारी संयुक्त पाल भी निर्णय लेगी और भविष्य के लिए कदम उठाए जाएंगे।