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फेल हो रही फारेस्ट्री योजना

By Edited By: Published: Fri, 18 Apr 2014 12:59 AM (IST)Updated: Fri, 18 Apr 2014 12:59 AM (IST)
फेल हो रही फारेस्ट्री योजना

अनूप पाराशर, पलवल: किसानों में जागरुकता का अभाव व वन विभाग की सुस्त प्रणाली से एक्सटेंशन फारेस्ट्री योजना जिले में कारगर साबित नहीं हो रही है। इस योजना के तहत वन विभाग एक साल में मात्र पांच-छह किसानों को ही लाभ दे पाया है। वन विभाग के अधिकारी योजना के सफल न होने का कारण किसानों में जागरुकता की कमी तो बता रहे हैं, लेकिन जागरुकता के लिए आज तक कदम नहीं उठाया गया है।

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क्या है योजना

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे स्थित जमीनों का सदुपयोग करने व किसानों को आर्थिक लाभ देने के लिए वन विभाग ने एक्सटेंशन फोरेस्ट्री योजना बनाई थी। योजना के तहत वन विभाग किसान से नियमानुसार समझौता कर उसकी जमीन लेगा तथा उस जमीन पर कलोन सफेदा लगाकर तीन साल तक अपने खर्चे पर पौधों का संरक्षण करेगा। तीन साल बाद पौधे के बडे़ होने पर जमीन किसान के हवाले कर दी जाएगी

किसानों को क्या होगा फायदा

वन विभाग की इस योजना से किसानों को काफी फायदा होगा। एक एकड़ जमीन में 500 कलोन के पेड़ लगाए जा सकते हैं। पांच साल में किसान पेड़ों के बड़े होने पर लकड़ियों को काटकर बेच सकता है। एक एकड़ में बोए गए पेड़ करीब साढे़ आठ लाख रुपये में बिकेंगे। एक बार पेड़ लगाए जाने पर 15 साल तक किसान इस योजना का लाभ ले सकता है।

अब तक कितने लगे हैं पेड़

योजना के तहत जिले में एक साल में मात्र 10 हजार कलोन के पेड़ ही लगाए गए हैं। इनमें उच्च न्यायालय के जज महेश ग्रोवर के नूंह रोड स्थित जमीन में पांच हजार, ताराका के किसान शिव नारायण भारद्वाज के 1650, रतिपुर के किसान राजवीर के 1650 व सोहना रोड स्थित किसान सत्येंद्र ठाकुर के यहां 1700 पेड़ लगाए गए हैं।

क्यों नहीं लगवा रहे किसान

किसान इस योजना के प्रति जागरूक नहीं है। न ही किसानों को वन विभाग ने इस योजना को ठीक से बताया है। जिसके चलते किसान इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

पेड़ों के साथ बो सकते हैं हल्दी की फसल भी

पेड़ों के बीच में वन विभाग द्वारा खाई बनाई जाती है। उस खाई के अंदर किसान अतिरिक्त मुनाफा लेने के लिए हल्दी की फसल भी बो सकता है।

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सड़क के दोनों भागों को हरा-भरा रखने व किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से यह अनूठी योजना शुरू की गई थी। किसान अभी जागरूक नहीं है। इसलिए योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है। गांवों में जाकर योजना के बारे में जानकारी दी जाएगी।

-किरण सिंह रावत, वन खंड अधिकारी


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